बड़ा विश्वास है मुझे स्वयं पर, मैं हारती नहीं हूं..
बड़ा विश्वास है मुझे स्वयं पर, मैं हारती नहीं हूं..
टूटकर बिखरकर फिर स्वयं संभलकर, मैं स्वयं से भी युद्ध में भागती नहीं हूं.. जीवन की राह में, विजय की डगर में, रहकर अचेत सदैव मैं डगमगाती नहीं हूं आंधी तूफानों से, संसार के तानों से डरकर मैं भागती नहीं हूं, नयन में स्वप्न संजोए, स्वप्न में स्वयं को, एकाएक भय से मैं जागती नहीं हूं फिर कभी किसी दिन, निर्जय, निराश, निरुत्साह होकर त्यागना चाहती हूं जीवन को, किंतु….. बड़ा विश्वास है मुझे स्वयं पर ‘मैं हार मानती नहीं हूं..!!