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2 Jan 2025 · 4 min read

*बच्चों जैसी खिलखिलाहट से भरे युवा संत बागेश्वर धाम सरकार श्

बच्चों जैसी खिलखिलाहट से भरे युवा संत बागेश्वर धाम सरकार श्री धीरेंद्र शास्त्री जी
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2 जनवरी 2025 बृहस्पतिवार को रामपुर में मोदी ग्लोबल हॉल में बागेश्वर धाम सरकार के नाम से प्रसिद्ध संत श्री धीरेंद्र शास्त्री जी का संबोधन सुनने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ। बचपन को शत-प्रतिशत रूप से जीने वाले संत बागेश्वर धाम सरकार के अलावा धरती पर शायद ही कोई हो। प्रवचन की शुरुआत बच्चों जैसे मुस्कुराते और हॅंसते हुए आपने की। बच्चों की तरह श्रोताओं के बीच में घुल-मिल गए। पांडित्य का लबादा ओढ़े बिना श्रोताओं से सहज संवाद स्थापित करने की कला में आप निपुण हैं । कुछ भी अस्वाभाविक आपके भीतर नहीं है। बस अगर भीतर है तो केवल निश्छल मन और पवित्र आत्मा। इसीलिए तो आपने श्रोताओं से कहा कि आपके गुरु ने एक बात आपको सिखाई थी। कहा था:

जो भीतर गया/ वह तर गया

अर्थात जिसने अपने अंदर झांक कर यात्रा कर ली, वह लक्ष्य को प्राप्त हो गया।

शुरुआत देखिए कैसे हंसते-हंसते आपने श्रोताओं से की। निर्धारित समय से कई घंटे लेट आने के बाद आपने दो काव्य पंक्तियां कहकर श्रोताओं की सारी थकान उतार दी। कहा:

कोई जल्दी बनेगा, कोई लेट बनेगा/ बालाजी का भक्त मगर सेठ बनेगा

देर से रामपुर पधारने का कारण भी मजाकिया लहजे में आपने यह कहकर समझाया कि चीलगाड़ी पर उड़ना तो प्रातः नौ बजे था। चीलगाड़ी का अर्थ हवाई जहाज से था। सब श्रोता समझ गए और मुस्कुराने लगे। बच्चों की तरह आपने बताया कि हम तो सो गए और हमें मुरादाबाद में उतरना था। लेकिन वहां विजिबिलिटी (पारदर्शिता) नहीं थी, इसलिए बरेली पर उतरे।
हास्य की एक और फुलझड़ी आपने यह कहकर श्रोताओं के सम्मुख प्रस्तुत की कि तीन बजे हमारा दिल्ली में कार्यक्रम है । अब हमने अपनी घड़ी तीन बजे लगाकर बंद कर ली। जब दिल्ली पहुंचेंगे तो वहां श्रोताओं को बता देंगे कि देखो हमारी घड़ी में तो तीन बजे हैं । तात्पर्य यह है कि दो-चार मिनट में ही श्रोता सहज हो गए। आपके साथ श्रोताओं का सीधा संवाद स्थापित हो गया।

अब जो बात आपको कहनी थी, वह आपने कही। मेरे पागलों यह आपका संबोधन श्रोताओं के लिए था। पागलों का तात्पर्य वह लोग होते हैं जिन्हें अपनी मस्ती में ही जीना होता है और जो व्यर्थ के लोभ-मोह से परे रहते हैं। आपने स्वयं भी मस्ती-भरी जीवन शैली को आत्मसात किया है तथा इसी मस्ती के साथ जीवन जीने की कला को जन-जन तक पहुंचाने के लिए कृत संकल्प हैं । दो पंक्तियों में आपने अपनी विचारधारा को इस प्रकार प्रेषित किया:

नफरत नहीं हम प्रेम के आदी हैं। गर्व से कहते हैं हम हिंदुत्ववादी हैं।।

बागेश्वर धाम सरकार ने उपस्थित श्रोताओं से कहा कि जात-पात और छुआछूत को छोड़ दो। केवल स्वयं को हिंदू मानकर व्यवहार करो। हिंदुस्तान इसी रास्ते पर फिर से विश्वगुरु बन सकेगा। हिंदुत्व को आपने पूरे विश्व की जीवन जीने की आचार-संहिता बताया और कहा कि धर्म तो सनातन ही होता है। हिंदुओं के उज्जवल भविष्य के तीन सूत्र आपने श्रोताओं के सम्मुख रखें। इसे आपने ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ की तर्ज पर ‘हिंदू इंटेलिजेंस’ की संज्ञा दी। कहा पहला काम इंटेलीजेंट हिंदू अर्थात समझदार तर्कपूर्ण सुशिक्षित हिंदू का निर्माण करना है। दूसरा औद्योगिक और व्यापारिक दृष्टि से समृद्ध हिंदू के निर्माण की आवश्यकता है और तीसरा एकता के भाव में गुॅंथा हुआ हिंदू चाहिए।
हम सबको सनातन संस्कृति के प्रति अलर्ट होना है। यह कार्य माता-पिता और विशेषकर मॉं का है। वह जननी भी है और अपने बच्चों में संस्कारों की जननी भी कही जा सकती है। कोरोना-काल में लाभदायक वैक्सीन की चर्चा करते हुए आपने कहा कि हिंदुत्व की वैक्सीन अगर माता-पिता अपने बच्चों को लगवा दें, तब देश बहुत-सी बुराइयों से बच जाएगा। आपने विनम्रता पूर्वक हाथ जोड़कर बताया कि हमारा उद्देश्य किसी को मारना नहीं है। सनातन संस्कार तो जोड़ने की संस्कृति है, हम तोड़ने का काम नहीं करते हैं।

संत श्री ने कहा कि याद रखो रामसेतु के पत्थरों को जोड़-जोड़ कर पुल बना था। इसी प्रकार से हमें एक-एक हिंदू को हिंदुत्व के भाव से जोड़ना है। सांसारिक वासनाओं से ऊपर उठकर जीवन दृष्टि प्रदान करने वाले स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए आपने बताया कि अमेरिका में एक सुंदर महिला ने स्वामी जी के सामने विवाह करने का प्रस्ताव रखा ताकि उसका पुत्र स्वामी जी जैसा तेजस्वी हो सके। इस पर स्वामी जी ने कहा कि आप मुझे अपना पुत्र और मैं आपको अपनी माता मान लूं तो अभी आपका यह उद्देश्य पूरा हो जाएगा। ऐसी महान संस्कृति को आत्मसात करने के लिए बागेश्वर धाम सरकार ने उपस्थित श्रोताओं से आग्रह किया। कहा कि हम हिंसा पर जोर नहीं देते, हम अहिंसा पर जोर देते हैं। विश्व को बहुत से लोग व्यापार की दृष्टि से देखते हैं, लेकिन हम वसुधैव कुटुंबकम् के सिद्धांत को आत्मसात करते हुए विश्व को एक परिवार की दृष्टि से देखते हैं। हमारी सनातन संस्कृति ने हमें जीना सिखाया है। अपनी संस्कृति पर गर्व करो।

भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाना आपके संबोधन की चेतना का केंद्र बिंदु रहा। आपने बार-बार इस बात को दोहराया कि आपके बच्चे आपकी असली संपत्ति हैं । उन्हें संस्कार देना मत भूलो। एक साथ मिलजुल कर रहना सीखो। बच्चों को गीता और रामायण पढ़ाओ। उन्हें मीरा और तुलसी की वेशभूषा से सजाना सिखाओ।

कार्यक्रम के आयोजक राजर्षि डॉक्टर भूपेंद्र मोदी के सनातननिष्ठ व्यवहार को संत श्री ने अपना आशीर्वाद प्रदान किया। कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि आप रामपुर में साधना का एक केंद्र स्थापित करें जो निरंतर सनातन को पुष्ट करे।

समस्त रामपुर वासियों की एक सामूहिक अर्जी आपने बागेश्वर धाम सरकार के लिए लगाने का काम भी किया तथा यह कामना की कि सभी उपस्थित सज्जनों पर बालाजी महाराज की कृपा हो जाए। कार्यक्रम के आरंभ से पूर्व राजर्षि डॉक्टर भूपेंद्र मोदी ने अपने भाषण में हिंदू धर्म की विस्तृत चर्चा श्रोताओं के मध्य की।
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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