बच्चों को समय की ज़रूरत
आज व्यस्ततम जीवन में किसी के पास समय नही है। समय वह चीज बन गया है जो गरीब से लेकर अमीर तथा छोटे से लेकर बड़े सभी के पास कम है। कभी-कभी लोग इसकी कमी का नाजायज फायदा अपनी अकर्यमणता छुपाने के लिए उठाते है, लेकिन वास्तविकता भी यही है कि आधुनिक प्रगतिशील युग में समय की बहुत बड़ी कमी है। हमारा सारा समय अपने जीविकोपार्जन में खर्च हो जाता है और हम अपने बच्चों के साथ थोड़ा सा भी समय नहीं बिता पाते। बच्चे कोरे कागज की तरह होते हैं उनका भविष्य सही मार्गदर्शन ही निश्चित करता है जैसे कोरे कागज का भविष्य उस पर लिखे अक्षर निर्धारित करते है कि उसे कूड़े में जाना है या किसी जिंदगी का फैसला बनकर जन्म जन्मोपरांत सहेज कर रखा जाएगा।ठीक उसी प्रकार सही मार्गदर्शन वाले बच्चों का भविष्य उज्ज्वल होकर देश और समाज के लिए एक आदर्श बनता है, और उसके लिए आवश्यक है बच्चो को उनके अभिभावक पर्याप्त समय दें क्योंकि माता पिता ही बच्चे के सबसे करीब होते है वह उनके सानिध्य में अपने को सुरक्षित महसूस करता है। अपने मन की हर बात बता सकता है। कभी भी अपने बच्चे से दूरी बनाकर न रहें। बच्चा जब समाज से परिचित होता है तब उसके पास असंख्य प्रश्न होते है। उनका सही उत्तर देना अभिभावक का कर्तब्य है क्योंकि बच्चे को सही समय पर अगर अपने प्रश्नों का उत्तर नही मिला तो वह उन्हें अपने ढंग से खोजने का प्रयास करता है। यही समय है उसके बनने और बिगड़ने का,इसमे उसकी कोई गलती नहीं वह तो अपने ज्ञान के आधार पर सही फैसला ही लेता है। इस संक्रमण काल में उसे सही सलाह की जरूरत होती है, और वह मिलती है माता पिता द्वारा। माता पिता जब अपने बच्चों को पर्याप्त समय देंगे तो बच्चे को एक एहसास रहेगा कि उसको समझने और सुनने वाला कोई है जो उसकी बात पर ध्यान देता है। उसका अपना भी कुछ अस्तित्व है और यही अहसास बच्चे में अपने ऊपर विश्वास जगता है। हमे अपने बच्चों की बात को ध्यान से सुनना चाहिए उनके तर्कों पर ध्यान देना चाहिए। सदैव अपने निर्णयों को उन ऊपर थोपना ठीक नहीं क्योंकि वह दबाव में आकर आपके द्वारा बताए गए मार्ग पर चल तो देगा लेकिन क्या वह अपनी मंजिल तक पहुंचेगा इसका कोई भरोसा नही, ऐसी स्थिति में एक नहीं दो लोगो के सपने टूटते हैं बच्चा और अभिभावक,और बच्चे का भविष्य भी अन्धकारमय हो जाता है। अक्सर देखा जाता है कि बहुत अमीर लोगों के बच्चे बिगड़े होते हैं इसमे उनकी गलती नहीं ,गलती माता पिता की है जिसने अपने बच्चे के हिस्से का समय अपने को बड़ा अमीर बनाने में लगा दिया। बेचारे उन बच्चों का क्या दोष जिनका पालन पोषण आया माँ द्वारा किया गया हो संस्कार तो उसी के बच्चे को मिलेंगे जिनके संसर्ग में वह पलता है। इसीलिए आज का बच्चा जिसकी परवरिश किराए पर रखी माँ द्वारा हुई है आगे चलकर अपने माता पिता का खयाल नहीं रखता और समाज उसे गुनहगार सिद्ध कर देता है। यहां पर यह उक्ति बिल्कुल सटीक बैठती है कि -“बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से होय।” इसलिए अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा समय दे जिससे उनके साथ साथ माता पिता का भी भविष्य भी सुरक्षित हो सके और बच्चे भावी भविष्य के अच्छे नागरिक बन सकें ।