बच्चों को बच्चा रहने दो
बच्चों को बच्चा रहने दो…
उन्हें खुल कर हंसने दो,खिलने दो फूल की तरह
जानने को उत्सुक कंकड़,पत्थर,पत्ते,लकड़ी,रेत
समझे सृष्टि की अबूझ पहेलियां,प्रकृति से जुड़ने दो,
बच्चों को बच्चा रहने दो …
चढ़ने दो पेड़ पर तोड़ने आम, चखने नीम निंबौली का स्वाद
उन्हें मत समझिए जागीर,सींचिए बस माली की तरह
अभी से कठिन राहों पर चलने का, अभ्यास करने दो,
बच्चों को बच्चा रहने दो …
करने दो दोस्ती गिलहरी,बिल्ली या नन्हे चूजे से
मत लगाइए बंदिशें,करने दो थोड़ी सी मनमानी
सबके लिए प्रेम, सहयोग, करुणा का भाव जगने दो,
बच्चों को बच्चा रहने दो …
उन्हें देखने दो जंगल, घौंसले, कोटर, बिलों में
चिड़िया के बच्चे कैसे रहते हैं दिनभर मां के बगैर
उन्हें धैर्य, संयम, परिवार की अहमियत समझने दो,
बच्चों को बच्चा रहने दो …
उन्हें रेस का घोड़ा मत बनाइए, मत कसिए लगाम
रोज कहो पढ़ने कहानी या सुनाओ अनुभव तमाम
स्वविवेक से जानें जीवन के गूढ़अर्थ,स्लेट पर कुछ नया लिखने दो,
बच्चों को बच्चा रहने दो …
एकदिन ये अनमोल पल चले जाएंगे, और
रह जाएंगी यादें,चाहकर भी नहीं लौटा सकेंगे बचपन
वे छोटे हैं कुछ समय के लिए, उन्हें बेफिक्र रहने दो,
बच्चों को बच्चा रहने दो …
बड़े होने पर कोई मतलब नहीं होगा,अफसोस का
मत करिए बांधने की कोशिश बहने दीजिए अपनी गति से
सब पलक झपकते चला जाएगा,अपने नजरिए से राह चुनने दो
बच्चों को बच्चा रहने दो …
तुम समझदार हो, कमा सकते हो कल भी
लेकिन यह मासूमियत बस आज है
ये समय लौट कर नहीं आएगा
ना ही कोई किसी #काश!,के लिए कोई जवाब दे पाएगा,
इसलिए बच्चों को बच्चा रहने दो …
__ मनु वाशिष्ठ