बच्चों को बच्चा रहने दो
====गीत====
बच्चों को बच्चा रहने दो
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हिंदू -मुस्लिम में ना बांटो
प्यार की शाखाएं न काटो
इन दोनों को संग रहनें दो
बच्चों को बच्चा रहने दो ….
मिलकर चलें चल लेने दो
इस धारा को बह लेने दो
इस लड़ाई में रक्खा क्या है
हिंदू -मुस्लिम मुद्दा क्या है
रहीम मनाएं दिवाली तो
राम को ईद मना लेने दो
मन की बातों को कहने दो
बच्चों को बच्चा रहने दो………
देखो कैसे मिल रहे हैं
मिलकर कैसे चल रहे हैं
नफ़रत जरा भी नहीं है मन में
प्यार बांट रहे ये उपवन में
गीता और कुरान हैं संग में
रंग जायें हम भी इस रंग में
प्यार की ये गंगा बहने दो
बच्चों को बच्चा रहने दो………
सुख- दुःख अब संग- संग बाटेंगे
नफ़रत की खाई पाटेगें
कुछ तो सीखो इन बच्चों से
अक्ल के कहते इन कच्चों से
कुछ भी ना इसको देना है
भाई से बस भाई कहना है
प्यार की वयार को बहने दो
बच्चों को बच्चा रहने दो…….
राम -श्याम -रहीम मिला दो
जाति -धर्म के भेद भुला दो
सबसे प्यारा देश हमारा
दुनिया से बस ये कहला दो
कितनी सुंदर जोड़ी लगती
गीता संग कुरान है चलती
आंखों से ना ओझल करना
इस जोड़ी को जुदा न करना
ख्वाब ये आंखों में पलने दो
बच्चों को बच्चा रहने दो……..
बहुत हुआ ये हिंदू-मुस्लिम
बहुत खो चुके इससे अब हम
अब ना कुछ कहना सुनना है
प्रेम की चादर मिल बुनना है
श्याम – समीर अब साथ रहेंगे
सुख-दु:ख सब मिल हम बाटेंगे
कितनी सुंदर है ये जोड़ी
मुजरिम वो जिसने ये तोड़ी
प्रेम संदेश “सागर” देने दो
बच्चों को बच्चा रहने दो……!!
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गीत के मूल रचनाकार……
डॉ.नरेश कुमार “सागर”
गांव-मुरादपुर,सागर कॉलोनी, जिला-हापुड़,उ.प्र.