Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Oct 2022 · 1 min read

बच्चों को इतवार (बाल कविता)

बच्चों को इतवार (बाल कविता)
************************
हफ्ते भर में मस्ती करने
दिन आता इक बार,
सबसे ज्यादा अच्छा लगता
बच्चों को इतवार

सुबह देर से उठते
इस दिन बस्ता नहीं लगाते,
पड़ी सातवें दिन की छुट्टी
दिन भर शोर मचाते

रंग बिरंगे कपड़े पहने
घर से बाहर आए,
दिन भर गायब रहे
शाम तक नहीं कहीं मिल पाए
************************
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

318 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

जिस डाली पर बैठो हो,काट न बंधु डाल रे
जिस डाली पर बैठो हो,काट न बंधु डाल रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
प्वाइंट
प्वाइंट
श्याम सांवरा
आसान नहीं हैं बुद्ध की राहें
आसान नहीं हैं बुद्ध की राहें
rkchaudhary2012
दुष्ट कभी भी बाज़
दुष्ट कभी भी बाज़
RAMESH SHARMA
बचपन के दिन
बचपन के दिन
Surinder blackpen
वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
gurudeenverma198
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
कवि रमेशराज
*The Bus Stop*
*The Bus Stop*
Poonam Matia
जरा मेरे करीब आकर कोई गजल कहो
जरा मेरे करीब आकर कोई गजल कहो
Jyoti Roshni
सिसकियाँ जो स्याह कमरों को रुलाती हैं
सिसकियाँ जो स्याह कमरों को रुलाती हैं
Manisha Manjari
धन्यवाद
धन्यवाद
Rambali Mishra
"वक्त इतना जल्दी ढल जाता है"
Ajit Kumar "Karn"
फुटपाथ की ठंड
फुटपाथ की ठंड
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
तेरे ख़्याल में हूं,मैं तेरे ज़िक्र में हूं ,
तेरे ख़्याल में हूं,मैं तेरे ज़िक्र में हूं ,
Dr fauzia Naseem shad
"सवाल"
Dr. Kishan tandon kranti
*. ईश्वर वही है *
*. ईश्वर वही है *
भूरचन्द जयपाल
कटहर मटन।
कटहर मटन।
Acharya Rama Nand Mandal
"एक अग्नि की चिंगारी काफी है , जंगल जलाने के लिए l एक बीज का
Neeraj kumar Soni
जितना आवश्यक स्थापित प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा है, उतनी ही
जितना आवश्यक स्थापित प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा है, उतनी ही
*प्रणय*
फुरसत के वो दिन भी बीत गए अब तो,
फुरसत के वो दिन भी बीत गए अब तो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
नज़र बूरी नही, नजरअंदाज थी
नज़र बूरी नही, नजरअंदाज थी
संजय कुमार संजू
कहीं चीखें मौहब्बत की सुनाई देंगी तुमको ।
कहीं चीखें मौहब्बत की सुनाई देंगी तुमको ।
Phool gufran
*प्रेम*
*प्रेम*
डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद"
कविता बिन जीवन सूना
कविता बिन जीवन सूना
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
भारत
भारत
sheema anmol
#ਮੁਸਕਾਨ ਚਿਰਾਂ ਤੋਂ
#ਮੁਸਕਾਨ ਚਿਰਾਂ ਤੋਂ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
मेरे चेहरे से मेरे किरदार का पता नहीं चलता और मेरी बातों से
मेरे चेहरे से मेरे किरदार का पता नहीं चलता और मेरी बातों से
Ravi Betulwala
झरोखे की ओट से
झरोखे की ओट से
अमित कुमार
"जन्मदिन"
ओसमणी साहू 'ओश'
Loading...