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28 Sep 2021 · 1 min read

बच्चे बन जाएँ (गीत)

बच्चे बन जाएँ (कविता)
“”””””””””””””””””””””””””
चलो करें कुछ ऐसा फिर से हम बच्चे बन जाएँ
(1)
झुर्रीदार हमारा चेहरा तो इससे क्या डरना
बाल सफेद हुए तो इसमें नहीं हमें कुछ करना
उम्र हमें जो-जो देती है खुश होकर वह पाएँ
चलो करें कुछ ऐसा फिर से हम बच्चे बन जाएँ
(2)
क्यों सोचें कल का जीवन मुश्किल से भर जाएगा
क्यों सोचें यह मरण हमें कल या परसों आएगा
समय नदी जैसा प्रवाह है ,मन को यह समझाएँ
चलो करें कुछ ऐसा फिर से हम बच्चे बन जाएँ
(3)
जब हम हुए नहीं थे पैदा, दुनिया तब भी चलती
दाल हजार बरस तक दुनिया में किसकी है गलती
चार बरस के बच्चे में खूबी देखें दिखलाएँ
चलो करें कुछ ऐसा फिर से हम बच्चे बन जाएँ
(4)
बच्चों को देखो पल दो पल से ज्यादा कब झगड़े
किसी बात पर यह औरों के आगे हैं कब अकड़े
झूठ बोलना धोखा देना इनकी नहीं अदाएँ
चलो करें कुछ ऐसा फिर से हम बच्चे बन जाएँ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
Tag: गीत
375 Views
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