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15 Nov 2024 · 1 min read

बचपन

मुक्तक
~~~
खाना पीना खेलना, बचपन के हैं काम।
चलता रहता क्रम यही, हो जाती है शाम।
मगर किताबों का बहुत, बच्चों पर है बोझ।
साथ अपेक्षाएं बढ़ी, प्रतिस्पर्धा के नाम।
~~~
बचपन की यादें बहुत, निश्छल मन के भाव।
वो पानी से खेलना, खूब चलाना नाव।
गिरना उठना भागना, नित्य सभी के साथ।
हँसते हँसते झेलना, छोटे मोटे घाव।
~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

1 Like · 1 Comment · 6 Views
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