Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Nov 2024 · 1 min read

बचपन

मुक्तक
~~~
खाना पीना खेलना, बचपन के हैं काम।
चलता रहता क्रम यही, हो जाती है शाम।
मगर किताबों का बहुत, बच्चों पर है बोझ।
साथ अपेक्षाएं बढ़ी, प्रतिस्पर्धा के नाम।
~~~
बचपन की यादें बहुत, निश्छल मन के भाव।
वो पानी से खेलना, खूब चलाना नाव।
गिरना उठना भागना, नित्य सभी के साथ।
हँसते हँसते झेलना, छोटे मोटे घाव।
~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

1 Like · 1 Comment · 32 Views
Books from surenderpal vaidya
View all

You may also like these posts

आँसू बरसे उस तरफ, इधर शुष्क थे नेत्र।
आँसू बरसे उस तरफ, इधर शुष्क थे नेत्र।
डॉ.सीमा अग्रवाल
तेरी मुश्किल ना बढ़ूंगा,
तेरी मुश्किल ना बढ़ूंगा,
पूर्वार्थ
फूल का शाख़ पे आना भी बुरा लगता है
फूल का शाख़ पे आना भी बुरा लगता है
Rituraj shivem verma
वैज्ञानिक अध्यात्मवाद एवं पूर्ण मनुष्य
वैज्ञानिक अध्यात्मवाद एवं पूर्ण मनुष्य
Acharya Shilak Ram
ओशो रजनीश ~ रविकेश झा
ओशो रजनीश ~ रविकेश झा
Ravikesh Jha
অরাজক সহিংসতা
অরাজক সহিংসতা
Otteri Selvakumar
4335.*पूर्णिका*
4335.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*मोहब्बत बनी आफत*
*मोहब्बत बनी आफत*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मेरा दिल
मेरा दिल
SHAMA PARVEEN
*कलयुग*
*कलयुग*
Vaishaligoel
इलज़ाम
इलज़ाम
Lalni Bhardwaj
गुलों की क़बा को सिया भी नहीं था
गुलों की क़बा को सिया भी नहीं था
Monika Arora
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
जो बरसे न जमकर, वो सावन कैसा
जो बरसे न जमकर, वो सावन कैसा
Suryakant Dwivedi
*देना प्रभु जी स्वस्थ तन, जब तक जीवित प्राण(कुंडलिया )*
*देना प्रभु जी स्वस्थ तन, जब तक जीवित प्राण(कुंडलिया )*
Ravi Prakash
सरकार
सरकार
R D Jangra
रूठे हुए को तो मना लूं मैं,
रूठे हुए को तो मना लूं मैं,
श्याम सांवरा
उन के दिए ज़ख्म
उन के दिए ज़ख्म
हिमांशु Kulshrestha
फूल है और मेरा चेहरा है
फूल है और मेरा चेहरा है
Dr fauzia Naseem shad
राह तक रहे हैं नयना
राह तक रहे हैं नयना
Ashwani Kumar Jaiswal
कोमल अग्रवाल की कलम से ' इतना सोचा तुम्हें '
कोमल अग्रवाल की कलम से ' इतना सोचा तुम्हें '
komalagrawal750
पथ में
पथ में
surenderpal vaidya
मेरा भारत बड़ा महान
मेरा भारत बड़ा महान
पूनम दीक्षित
एग्जिट पोल्स वाले एनडीए को पूरी 543 सीटें दे देते, तो आज रुप
एग्जिट पोल्स वाले एनडीए को पूरी 543 सीटें दे देते, तो आज रुप
*प्रणय*
राष्ट्र-मंदिर के पुजारी
राष्ट्र-मंदिर के पुजारी
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
मन
मन
MEENU SHARMA
मैं चाहता था  तुम्हें
मैं चाहता था तुम्हें
sushil sarna
बसन्त ऋतु
बसन्त ऋतु
Durgesh Bhatt
राजनयिक कुछ राजनीति के‌...
राजनयिक कुछ राजनीति के‌...
Sunil Suman
क्षणभंगुर गुलाब से लगाव
क्षणभंगुर गुलाब से लगाव
AMRESH KUMAR VERMA
Loading...