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1 Dec 2016 · 8 min read

माई बेस्ट फ्रैंड ”रौनक”

दोस्त
सखा
मित्र
फ्रैंड
या जिगरी

चाहे जो भी कह लो, हदय के अंतस में आता है एक ऐसा व्यक्तित्व जो विश्वास के तराजू में तुलता है। जो हर परीक्षा कि घड़ी में सदैव खरा उतरता है। चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, दोस्ती निभाने यार चला आता है।
दोस्ती, एक ऐसा रिश्ता, जो बाकी सभी रिश्तो कि भीड़ से एकदम अछूता होता है। जो दो हदय को प्रेम के तार से जोड़ता है। मां बाप, भाई बहन, रिश्ते नाते आदि हमें भाग्य तथा समाज से मिलते है, जिन्हे समाज के वशीभूत हो कर निभाना पड़ता है। लेकिन दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है, जो अन्य किसी रिश्ते कि पहचान का मोहताज नही। यही एक रिश्ता है, जिसे हम स्वयं अपनी पसंद से चुनते है। जिसका चयन हम अपने अनुसार मर्जी अनुरुप करते है। जिस को निभाने के लिए किसी भी प्रकार की व्यवहारिक औपचारिकता की आवश्यकता नही पड़ती। दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है, जो गर्दिश से अलग, हदय की भावना से जुड़ता है। जो सभी रिश्तो मे से, सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है।।
दोस्ती के रिश्ते से जुड़ा एक व्यक्ति, जो हमारे दिल के बहुत करीब होता है। जो हमारे साथ हो तो, वक्त का पता ही नही चलता कि कब गुजरा। जिसका साथ और विश्वास हमारी जिंदगी में काफी सानी रखता है। जो गंर रुठ जाऐ तो, जिंदगी मुस्कुराना ही छोड़ दे जैसे। जो जिंदगी के प्रत्येक पलो में, हमारे कंधे से कंधा मिलाकर हमारे साथ खड़ा हो। जिसका साथ होना ही, कार्य पूर्ण की आस जगाता है। जिसके बिना हमारा हर पल अधूरा है। जो हमें बिना किसी भय के सही व उचित सलाह देता है।
एक ऐसा दोस्ती का प्रभुत्व जिस पर विश्वास की परिभाषा खरी उतरती है।
जहाँ दोस्ती का असल मायना यह होता है, वही आज की जिंदगी पाश्चत्य के आगोश में चल रही है। और उसी के घने अंधकार बादलो की ओट में पल रही है, आज की मित्रता।जहां मित्रता विश्वास और भरोसे का दूसरा नाम है, वही मित्रता कपट का रुप लिए अपने आप को लज्जा रही रही। इसी कपट व स्वार्थ रुपी बादलो के मुखाब मे मित्रता का सुरज कही औझल सा हो गया है। जिससे मित्रता का वास्तविक स्वरुप ही छीप गया है। लेकिन कही कही मित्रता के सूरज की रश्मियां इन बादलो की ओट को चीरते हुऐ अपना प्रकाश फैला रही है। आज भले ही दोस्ती के मायने बदल गए हो, लेकिन मित्रता की भावनाएं वही है। सभी लोग दोस्ती कि बुलंदियो को छूना चाहते है, उसे सातवें आसमान पर पहुँचाना चाहते है, जहां से दोस्ती सच्चे मायनो में चमकती हो।
परंतु तेज रफ्तार से चलती जीवन कि गाड़ी में, समय का अभाव। लेकिन एक मिलन के साथ दोस्ती वजूद में है।
मित्रता दूरियो की मोहताज नही। चाहे कितना ही वक्त गुजर जाऐ दरमियां, लेकिन दोस्त के मिलन पर यार को तहेदिल से गले लगाती है। यही एक रिश्ता है, जो दूरियो के साथ ओर अधिक निखरता है। इसलिए यह रिश्ता बाकी सभी रिश्तो से अलग है। यह रिश्ता दिल के इतने करीब कैसे आ जाता है, यह तो इसमें जीने वाला ही जाने। कब दो जिस्म एक जान बन जाते है, पता ही नही चलता।
दोस्तो का साथ तथा दोस्ती के पल जिंदगी में बहुत ही कम मय्यसर होते है। लेकिन जो होते है, वो जिंदगी भर याद रहते है। जिंदगी में इन्ही पलो के सहारे तो, कभी कभी यादो में दोस्तो से मिलना होता है। लेकिन दोस्ती कभी बिसराई नही जाती।
ऐसे ही कुछ पलो के साथ, एक दोस्त मेरी जिंदगी में भी मय्यसर हुआ।
मेवाड़ के सिरमोड़ की धरती का व्यक्ति, सूर्य की नगरी में कब दोस्ती के इतने करीब आ गया, इंतला ही नही हुई। इसे दोस्ती के रिश्ते का प्रभाव कहुँ, या रौनक की दोस्ती का असर।
आज भी वह अद्वितीय पल स्मृति में ताजा है, जब रौनक कि दोस्ती मेरी दोस्ती कि दूनिया में अपना इस्तकबाल करवाने आई थी। वह बहुत ही विस्मरणीय पल था, जब मोहित नें लक्की कि दोस्ती को पुकारा, और लक्की नें मित्रता को। दोस्ती और मित्रता के सहयोग से मोहित सा यार वजूद में आया।
शुरुआती पल में हम दोनो का रिश्ता कुछ अनजाने सा प्रतीत होता है। जब मैं पहली बार रौनक से मुख़ातीर हुआ, तब लगा की, शहर के लोग गाँव की दोस्ती कि क्या इज्जत रखेंगे?, लेकिन आज दोस्ती कि अज़मत ऊंची मिनार के गुंबद को छू रही है।
‘मित्रता शहर या गाँव की बंदिशो को नही मानती’, इस बात का अहसास मोहित सा यार जब मेरी दोस्ती कि दूनिया में आया, तब हुआ। रौनक के साथ मैं ज्यादा वक्त तो नही रहा, लेकिन दोस्ती में गुजरे उन पाँच दिनो में, एक सच्चे दोस्त की जरुरत जिंदगी में समझ आई की, गंर एक सच्चा दोस्त साथ हो तो, जिंदगी कितनी आसान हो जाती है। अगर हम कही गलती भी करे तो, कोई तो है जो, सही राह बताता है। कोई तो है जिसको हम से पहले हमारी फिक्र है। कोई तो है, जो हमे समय पर अपना कर्तव्य याद दिलाता है। और कोई तो है, जिसको हमारा साथ बहुत पसंद आता है।
बिना दोस्ती के जिंदगी एक खाली किताब है। जीवन के हर मोड़ पर उलजनो मे व्यस्त जिंदगी को, जब दोस्ती रुपी साहरा मिलता है तो, ऐसा प्रतीत होता है की, ‘तृष्णा’ से पीड़ित मृग को रेगिस्थान में ‘जलाश्य’ मिल गया हो।
मेरी दोस्ती में तृष्णा नाम की चीज कभी रही नही। जिंदगी के हर पल में एक जानिसार दोस्त मय्यसर होता रहा है। हर पल में एक यार ने लक्की कि दोस्ती को अपने गले से लगाया। जब कभी भी दोस्ती में जीने कि चाहत होती, उसी वक्त जिंदगी में एक नया जानिसार दोस्त कबूल हो जाता। यह शायद जिंदगी कि इबादद है, जो इतने जानिसार मिले, की कभी भी दोस्तो का अभाव नही रहा।
जिन दोस्तो के साथ पेंसिल से लेकर पेन तक का सफर तय किया, उन दोस्तो का साथ इतने समय के बाद भी जीवन में बना रहा। जिंदगी के अब तक के 15 बर्थ-ड़े मैं जिन दोस्तो के साथ मना चुका हुँ, वो यार अभी भी दोस्ती को निभाने के लिए मेरे साथ है । ये बात अलग है की, वो कभी कभी ही मिलने आते, लेकिन जब भी आते अपनी पुरानी दोस्ती कि यादो की महफिल सजाकर आते है। जब यादो की गठ्ठरी का पिटारा खुलता है तो, ऐसा लगता है की, इस दरमियां वक्त ना मय्यसर हुआ ही नही है।
एक कमी मेरी दोस्ती मे सदैव रहती है की, किसी कि भी दोस्ती का साथ ज्यादा नही मिला। हर एक दोस्त का कुछ वक्त के लिए संगना मिला, फिर दोस्ती ”नदियो की धारा” के समान बहती हुई, लक्की कि दोस्ती रुपी सागर में समा गई। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए, मोहित की दोस्ती कि धारा खलखलाहठ करती हुई बही।
हम दोनो की दोस्ती का आग़ाज ही ऐसे ढ़ग से हुआ की, यह रिश्ता बुलंदियो को छूने लगा। दोस्ती और विश्वास की पराकाष्ठा को छूता यह दोस्त, कब इतना करीब आ गया, पता ही नही चला।
शुरुआती मुलाकात में हम दोनो का रिश्ता एक सामान्य दोस्त के रुप में था, परंतु जैसे जैसे वक्त दोस्ती के आगोश में गुजरता गया, दोस्ती का परवाना ऊंचाईयो को छूने लगा। पहली मुलाकात के बाद, यह रिश्ता हर मिलन के साथ ओर भी मजबूत होता गया। दोस्ती के दरमियां गुजरे वो पाँच दिन, जिंदगी के पलो का एक खुबसूरत सा लम्हा बन गया। दोस्ती कि शुरुआत ही इस लहजे से हुई की, दोस्त इतना करीब आना ही था। इन पांच दिनो के एक एक पल में मोहित की दोस्ती का आगाज है।
दोस्ती कि शुरुआत के बाद एक लंबे अंतराल के बाद हम दोनो मेवाड़ की धरा पर एक साथ मिले। मोहित अपने यार से मिलने के लिए आया था। स्टेशन में लोगो की गर्दिश में मोहित की आँखे मुझको ढ़ूँढ़ती हुई, निहार रही थी। तभी दोस्त को सामने देख, उसने अपने हदय से लगा लिया। दो दोस्तो का यह प्रेम भरा मिलन बहुत ही यादगार है। उस दिन का पूरा वक्त दोस्त को समर्पित। एक दोस्त अपनी जिंदगी कि व्यस्तता से कुछ वक्त दोस्त के लिए लाया। आज उसकी दोस्ती के अलसफ़ो मे, कुछ नऐ पलो को ओर जिंदगी में ताजा किऐ। जीवन कि इन्ही छोटे छोटे पलो में दोस्ती कि उन बारीकियो को समझा, जो एक सच्ची दोस्ती में होनी चाहिये। रौनक के साथ ऐसे कई पल अनुभव के जिऐ, जो मेरे लिए पहली बार थे।
मुझे आज भी याद है वह पल, जब मोहित ने मेरे सम्मान के लिए आवाज उठाई थी। वह पल मेरी दोस्ती कि दूनिया में पहली बार वजूद में आया। दोस्ती के इतने वर्षो में मेरे सम्मान के लिए, किसी भी दोस्त ने आवाज नही उठाई। जब भी मेरे सम्मान कि बात आती, दोस्त उसे हास्य बनाकर, ठिठोली में उड़ा देते।
जब यही पल मोहित की दोस्ती के साथ वजूद मे आया, तब भी मुझे ऐसा ही लगा, की चुप रहने में ही भलाई है। कोई मेरा साथ नही देगा। मैं नीचे मुँह करके चुप हो गया। तभी मोहित की आक्रोशित वाणी तेज स्वर में कानो में गूंज पड़ी। उससे मेरा अपमान सहन नही हुआ, और अपमान करने वाले को खरी-खरी सुना दी। मैं आवाक होकर मोहित की ओर देख रहा था। तभी वह मेरे पास आया और कंधे पर हाथ रखते हुए, उसने मुझसे कहा:- ”चल लक्की”
मोहित के कंधे पर हाथ रखे मेरे मन मे ख्याल आया की, मोहित ने अपनी दोस्ती का सम्मान रख लिया। यह दृश्य मुझे पहली बार देखने को मिला की, कोई तो दोस्त है, जो इस लक्की कि दोस्ती कि कद्र करता है। इस मंजर के बाद मोहित मेरे दिल के ओर ज्यादा करीब आ गया। मोहित कि दोस्ती निभाने की इस अदा ने, लक्की को अपना कायल बना दिया। इस पल के बाद से ही मोहित ने मेरी दोस्ती कि दूनिया अपना एक अहम स्थान बना लिया। मैने मोहित को एक नऐ नाम ”जिगरी” से अलंकृत किया।
भले ही हम दोनो कि दोस्ती का आग़ाज जवानी कि दहलीज पर हुआ, लेकिन मोहित है मेरा जानिसार दोस्त। जिंदगी हर मोड़ पर दोस्ती को एक नऐ रूप से नवाजती है, और हम दोनो की दोस्ती इसका एक उदाहरण है।
ऐसे ही ओर कई पल स्मृति में ताजा है, जो औस की बूंद के समान अनछूऐ है। जिनके कारण मोहित की दोस्ती, मेरी ”दोस्ती कि दूनिया” की रौनक बन गई। इन पलो को केवल यादो के द्वारा अनुभव किया जा सकता है। इन्हे शब्दो में ढ़ालना उसी समान है, जैसे ‘कमल के पत्ते पर जल की बूंद’। जितना भी वर्णन कर लो, एक अधूरापन सा व्याप्त ही रहेगा।
वजूद में मोहित का साथ और उसकी दोस्ती ही, इन पलो को पूर्ण करती है। जब कभी भी यादो के सागर में गोता लगाया, तब रौनक को एक जिगरीजान के रुप मे पाया। एक ऐसी शख्सियत, जो लक्की कि दोस्ती का स्थूल है।

हम दोनो की दोस्ती का साथ सदा बना रहे।

तेरा दोस्त
लक्की सिंह चौहान

Language: Hindi
Tag: लेख
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