“बचपन में जब पढ़ा करते थे ,
“बचपन में जब पढ़ा करते थे ,
तब पढ़ते थे ,
कि इंसान पहले जानवर हुआ करता था l
पर जब आज टीवी चैनलों को देखता हूँ
तो दिल सहम सा जाता है ,
कि पीढ़िया गुजरी ,
गुजरा वक्त ,
इंसानियत बिगड़ी ,
बिगड़े हालात,
नहीं बदली पशुइयत इंसान की ,
जस की तस इंसानियत इंसान की ,
आज भी बर्बरता देखने को मिलती है
मनुषीयत तड़पती देखने को मिलती है ,
रोती आज भी है मासूम लड़कियाँ,
आज भी दरिदंगी और हेवानियत देखने को मिलती है l”
नीरज कुमार सोनी
“जय श्री महाकाल”