बचपन भी कहीं खो गया है।
बचपन भी कहीं खो गया है अब इसमें मिलती कहीं शैतानी नहीं।
नींद कैसे आए नौनिहालों को दादी-नानी भी सुनाती कोई कहानी नहीं ।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
बचपन भी कहीं खो गया है अब इसमें मिलती कहीं शैतानी नहीं।
नींद कैसे आए नौनिहालों को दादी-नानी भी सुनाती कोई कहानी नहीं ।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️