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27 Sep 2024 · 1 min read

बचपन के सबसे प्यारे दोस्त से मिलने से बढ़कर सुखद और क्या हो

बचपन के सबसे प्यारे दोस्त से मिलने से बढ़कर सुखद और क्या हो सकता है? किताबों से दोस्ती बहुत छुटपन में ही हो गई थी। ‘पापा जब बच्चे थे’ मैंने कोई चालीस वर्ष पहले पढ़ी थी। लेखक मित्र बलजीत भारती के सौजन्य से यह दुर्लभ पुस्तक एक बार फिर मेरे हाथों में है। रादुगा प्रकाशन मास्को, सोवियत संघ से इसका अंतिम संस्करण 1987 में प्रकाशित हुआ था।
-इशरत हिदायत ख़ान

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