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11 Jul 2021 · 4 min read

बचपन का प्यार

वो सावन जो बरखा से बेइंतिहा महोब्बत करता था आज उसका चेहरा तक नहीं देखना चाहता । बरखा के सामने आते ही वो मुँह फेर लेता हैं मानों उसे जानता ही ना हो । आँखों मे प्यार की जगह नफ़रत ने इस हद तक ले ली कि वो कोई बात सुनने को ही तैयार नहीं हैं ।
आख़िर सावन और बरखा हैं कौन ?
क्यों सावन बरखा से इतनी नफ़रत करता हैं ?

सावन और बरखा कलंजरी गाँव के रहने वाले हैं । बरखा एकदम सरल स्वभाव की औऱ सादगी से रहने वाली, उसका रूप रंग सबको मोहित करने वाला था । उसकी आँखों मे लगा सुरमा उसकी सादगी को जैसे चार चाँद लगा रहा हो । वही सावन थोड़ा उलझा हुआ औऱ ग़ुस्से वाला हैं । वो दोनों बचपन से एक साथ बडे हुए, खाना खेलना मस्ती करना सब एक साथ । वो धीरे धीरे बड़े होते गए औऱ उनका साथ ओर पक्का हो गया । वो एक दूसरे की गलती छूपाने के लिए कुछ भी कर जाते। अब वो किशोरावस्था में प्रवेश कर चुके थे, सावन बरखा को लेकर थोड़ा असुरक्षित महसूस क़रने लगा बरखा किसी औऱ से बात करे उसे पसंद नही।
एक दिन अचानक सावन के पिता की मृत्यु हो गई , पिता के जाने के बाद कमाने वाला कोई नही था । अब हालात को देखते हुए सावन ने गाँव छोड़ कर शहर में जाने का फैसला किया । उसने बरखा से कहॉ – देखो मुझे अभी जाना होगा मुझे अपनी कुछ जिम्मेदारियां पूरी करनी हैं । लेकिन मैं बहुत जल्द वापिस आऊँगा और हम शादी कर लेंगे । बरखा ने भी कहा तुम जाओ मुझे तुम्हारा इंतज़ार रहेगा ।
वक़्त बीतता गया 4 साल हो गए सावन का कुछ पता नही चला, बरखा को अब चिंता होने लगी थी ना कोई फोन ना ख़त । बरखा अब 26 साल की हो गईं उसके माता पिता उसे शादी के लिए मना रहे थे, लेकिन बरखा कैसे हाँ कर देती उसने तो सावन को इंतज़ार करने का वादा किया था । जैसे तैसे 2 साल और बीत गए , अब तो वो घर वालो को कब तक रोक पाती । उसने शादी के लिए हाँ कर दी ।
आज उसे लड़का देखने आने वाला हैं जिसका नाम बादल है । बादल ने तो पहली नज़र में ही बरखा को पसंद कर लिया लेकिन बरखा अभी भी किसी के इंतज़ार में दरवाज़े को निहार रही थी । बादल ने धीरे से पूछा – “आपको किसी का इंतज़ार हैं ?” बरखा ने थोड़ा घबराते हुए कहाँ – जी नहीं ।
फ़िर क्या बादल औऱ बरखा ने एक दूसरे को शादी के लिए हाँ कर दी । बरखा के घर मे शादियों की तैयारियॉं शुरू हो गई, अब बस 15 दिन बाद बरखा और बादल की शादी हैं। तैयारियों में वक़्त कैसे बीत गया पता ही नही चला , शादी का दिन भी आ गया । मानों ना मानों लेकिन बरखा को आज भी सावन का इंतज़ार हैं लेकिन अब जब बादल उसका जीवनसाथी बनने वाला हैं बरखा सावन को भुलाने की कोशिश कर रही हैं ।
ढ़ोल की आवाज़ और गानों की धुन लिए बारात दरवाज़े पर खड़ी हैं , बरखा और बादल हमेशा के लिए एक बंधन में बंधने जा रहे हैं । अब बरखा और बादल सुखी सुखी अपना जीवन बिता रहे थे। एक दिन किसी ने बरखा के घर का दरवाजा बजाया “खट-खट, खट-खट” जैसे ही बरखा ने दरवाजा खोला सामने सावन खड़ा था । बरखा हैरान परेशान कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ । दरवाज़ा खुलते ही सावन ने जब बरखा के गले मे मंगलसूत्र और मांग में सिंदूर देखा तो वो दुःखी और गुस्से से तरबतर हुए वहा से चला गया । ना उसने कुछ कहाँ ना बरखा को बोलने का मौक़ा दिया ।
सावन का दुःख और गुस्सा इस हद तक बढ़ गया कि अब उसकी आँखो में बरखा के लिए प्यार नही बस नफ़रत दिखती हैं । ना सावन उसे अपनी आपबीती सुना पा रहा था ना वो बरखा के हालात समझ पा रहा था । ऐसे करते करते बहुत दिन बीत गए, एक दिन बादल को ये सब पता चल गया । बादल ने सावन और बरखा से बात क़रने का निर्णय लिया । उसने दोनों को साथ बिठाया औऱ दोनों को अपनी अपनी बात कहने का मौक़ा दिया । सावन ने उसके 6 साल का सफर सुनाया वही बरखा ने शिद्दत से किया हुआ इंतज़ार बताया । जहाँ सावन अपनी जिम्मेदारियों से बँधा था वही बरखा अपने फ़र्ज़ में उलझी थी । किसी की कोई गलती नही थी, गलत थे तो बस हालात । अब क्या था सावन और बरखा का रास्ता अलग हो गया सावन ने बरखा से माफ़ी माँगी उसके भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दी औऱ वापिस शहर को लौट गया । बरखा ने आँखो में थोड़े आँसू और लबों पर मुस्कुराहट लिए सावन को अलविदा कहा ।
अब सावन बरखा और बादल तीनों अपनी अपनी दुनियां में खुश हैं ।

पायल पोखरना कोठारी

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