बचपना भारत की मिथिला भूमि पर
कविता :- 16(97)
नमन ? :- मंच
दिनांक :- 19/07/2020
दिवस :- रविवार
विषय :- बचपना भारत की मिथिला भूमि पर
बात उन दिनों की है जब ,झोंझी गांव से प्रियंका,दीपक,रीचा , दो बहन एक भाई साथ रोशन और मनीषा बग़ल के गांव लोहा में डॉ. देवेन्द्र विद्यालय में एक साथ पढ़ने जाते थे,सभी का एक अलग अलग या घर से दिया हुआ नाम इस प्रकार रहा ,प्रियंका नाम जुनजुन ,दीपक नाम गोलू , रीचा नाम बिट्टू, रोशन नाम गंगाराम वही मनीषा नाम मिली, वह बचपना का उमंग,क्या बताऊं, विद्यालय गर्मी के दिनों में सुबह की हो जाती, और गर्मी के बाद डे की, तो बात गर्मी की है अर्थात्
मॉर्निंग शिफ्ट यानि विद्यालय सुबह पाली की थी, सभी एक साथ ही विद्यालय जाते, एक दिन गंगाराम उन लोगों के साथ न जाकर मंटू भईया के साईकिल पर जाने वाला रहा, और मंटू भईया को कॉलेज जाना रहा, उस गांव से लोहा जाने के लिए दो रास्ते थे एक फाटक पर से यानि मुख्य सड़क होते हुए तो दूसरी पैदल जाने वालों के लिए खेतों खेतों के बीच से ईंटा भट्ठा के तरफ जाने वाले रास्ता का नाम थरहा रहा,लोग मैथिली भाषा में कहते भी ” थरहा दअ कऽ जेएबेए तअ जल्दी पहुँच जेबै ” मतलब मुख्य रास्ता से न जाकर इस रास्ते से जाने पर समय बहुत ही कम लगता, थरहा और जो मुख्य सड़क जहां लोहा के रास्ते में मिलते, गंगाराम तो साईकिल पर रहा बाकी सब थरहा के रास्ते से उस मोड़ पर पहुंचने वाले रहें, और गंगाराम और बाक़ी की भेंट होने से पहले ही चिल्लाने लगता है , वह अज्ञानता देखने को मिलता है कि क्या बताऊं, वह इस प्रकार चिल्लाता है , जो मैथिली भाषा में वर्णित है :-
मंटू भईया जल्दी – जल्दी चलूं ,
देरी भोअ जेएत , साईकिल में हवा नैई छैय ,
मतलब गंगाराम साईकिल के आगे बैठे रहे, कहीं कोई पीछे न बैठ जाएं, वह इसलिए बोला , सच में बचपना में हमें सही का ज्ञान नहीं रहता ,और जब बचपना बीत जाते तो हम उस पल को याद करते, याद करके दुख ही मिलता, फिर भी बचपना के वह सुनहरे दिन याद आ ही जाते, वर्तमान में सभी अपने अपने लक्ष्य पाते हुए जीवन की सफ़र कर रहे है, कोई साहित्य सेवा तो कोई समाज सेवा करके , वही गोलू आज दीपक झा मैथिली गायक के रूप में प्रसिद्ध है ।
सच में भारत माँ की मिथिला की भूमि हीरा उपजाती है, मिथिलांचल वही है जहां माँ सीता जन्म ली , विद्यापति जैसे भक्त , महाकवि का जन्म स्थान, जिन्हें सेवा करने स्वंय महादेव उगना बनकर आये,बाबा नागार्जुन जैसे कवि यही जन्में, धन्य है यह भारत माँ की मिथिला की भूमि जहां भगवान राम तक आये.
रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716