Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Feb 2021 · 1 min read

बचके रहना मुनिया

बचके रहना मुनिया जमाना खराब है । बचके।
।।।।।
अब कौन कहां ठगले।पग पग पर है यहां कंटीले। इन्सान के रूप में हर जगह खिले हैं। अमृत छोड़ पीते शराब है। बचके रहना मुनिया जमाना खराब है।।लगे तेरे को फसाने।कई है बहाने। चारों तरफ से लगाये निशाने। पैसों के चक्कर में दिखाते सबाव है। बचके रहना मुनिया जमाना खराब है।।
मुंह पर कुछ और है । अन्दर कुछ और है। अन्धकार छाया चहुं और है।देख लेना इनके आ्व,भाव है। बचके रहना मुनिया जमाना खराब है।।

Language: Hindi
1 Like · 737 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हुनर का नर गायब हो तो हुनर खाक हो जाये।
हुनर का नर गायब हो तो हुनर खाक हो जाये।
Vijay kumar Pandey
मां कात्यायनी
मां कात्यायनी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सरसी छंद
सरसी छंद
Neelofar Khan
रामकृष्ण परमहंस
रामकृष्ण परमहंस
Indu Singh
हर चढ़ते सूरज की शाम है,
हर चढ़ते सूरज की शाम है,
Lakhan Yadav
​दग़ा भी उसने
​दग़ा भी उसने
Atul "Krishn"
अच्छा नहीं होता बे मतलब का जीना।
अच्छा नहीं होता बे मतलब का जीना।
Taj Mohammad
Friendship Day
Friendship Day
Tushar Jagawat
नेता जी
नेता जी "गीतिका"
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
फल और मेवे
फल और मेवे
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
नृत्य दिवस विशेष (दोहे)
नृत्य दिवस विशेष (दोहे)
Radha Iyer Rads/राधा अय्यर 'कस्तूरी'
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
Manoj Mahato
नयनों में नहीं सनम,
नयनों में नहीं सनम,
Radha Bablu mishra
Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक
Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
न जाने  कितनी उम्मीदें  मर गईं  मेरे अन्दर
न जाने कितनी उम्मीदें मर गईं मेरे अन्दर
इशरत हिदायत ख़ान
समाज का आइना
समाज का आइना
पूर्वार्थ
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
Anil Mishra Prahari
24/231. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/231. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*भरोसा हो तो*
*भरोसा हो तो*
नेताम आर सी
कविता(प्रेम,जीवन, मृत्यु)
कविता(प्रेम,जीवन, मृत्यु)
Shiva Awasthi
F
F
*प्रणय*
अँधेरा
अँधेरा
sushil sarna
*थर्मस (बाल कविता)*
*थर्मस (बाल कविता)*
Ravi Prakash
इतने अच्छे मौसम में भी है कोई नाराज़,
इतने अच्छे मौसम में भी है कोई नाराज़,
Ajit Kumar "Karn"
कुछ अजीब है यह दुनिया यहां
कुछ अजीब है यह दुनिया यहां
Ranjeet kumar patre
जिसे सपने में देखा था
जिसे सपने में देखा था
Sunny kumar kabira
डॉ. नामवर सिंह की आलोचना के अन्तर्विरोध
डॉ. नामवर सिंह की आलोचना के अन्तर्विरोध
कवि रमेशराज
तुमको ही चुनना होगा
तुमको ही चुनना होगा
rubichetanshukla 781
" काल "
Dr. Kishan tandon kranti
बार-बार लिखा,
बार-बार लिखा,
Priya princess panwar
Loading...