*बचकर रहिए ग्रीष्म से, शुरू नौतपा काल (कुंडलिया)*
बचकर रहिए ग्रीष्म से, शुरू नौतपा काल (कुंडलिया)
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बचकर रहिए ग्रीष्म से, शुरू नौतपा काल
रहे दुपहरी-धूप में, तो होंगे बेहाल
तो होंगे बेहाल, सुखद वृक्षों की छाया
करें तनिक विश्राम, रहेगी मनहर काया
कहते रवि कविराय, चूक जाते जो अक्सर
करते निज नुकसान, रहें सूरज से बचकर
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नौतपा: ग्रीष्म ऋतु के 9 दिन जो बहुत तपते हैं/ प्रायः 25 मई से शुरू होते हैं
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451