बख्शीश
बेहाल हैं वो लोग
जो खैरियत बख्शीश देने गये
कोई थे अजीज शख्स
गुजरने के बाद उनके.
मिजाज ए शोहरत कैसा है.
ले कर गये सबकुछ,
खजाने हवाले जहां के कर गये.
खिले है फूल
बंद डोडी
चढ़ती लताऐं
लगा पहुंच कर.
सादगी के बीज,
सींच कर गये,
जिंदगी पूर्ण जी कर गये.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस