**बकरा बन पल मे मै हलाल हो गया**
**बकरा बन पल मे मै हलाल हो गया**
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बकरा बन पल में मै हलाल हो गया,
नाजुक सा दिल उन पर दयाल हो गया।
वो आये थे यूँ पास ख़ास जान कर,
पल में यारों देखो कमाल हो गया।
जां से प्यारा वो यार कब बदल गया,
वैरागी मन जाने क्यों दलाल हो गया।
लट्ठे में लिपटा थान छंट कट गया,
पुरा था जो टुकड़ों में रुमाल हो गया।
मनसीरत कुछ दिन से उदास था बड़ा,
छोटी-छोटी बातों से बवाल हो गया।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)