*बंधु गज-दो गज जगह दबाओ 【हास्य गीत】*
बंधु गज-दो गज जगह दबाओ 【हास्य गीत】
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चलो अतिक्रमण करो बंधु गज-दो गज जगह दबाओ
(1)
निज दुकान का शटर खोल प्रातः सामान निकालो
आधे घंटे श्रम से सड़कों पर ही माल सजा लो
रात हुई तो ठूँस-ठाँसकर अंदर घर को जाओ
(2)
जब निर्माण करो घर तो आगे नौ इंच बढ़ाना
गलियाँ पतली करने में यों योगदान दे जाना
अतिक्रमण-वीर ! इतिहासों में अपना नाम लिखाओ
(3)
परमवीर हो यदि तो सरकारी जमीन कब्जा लो
पाटो तालाबों को उन पर प्लाट बना कर खा लो
चूना सरकारी जमीन को प्रिय ! इस भाँति लगाओ
(4)
ठेले बाइक कार खड़ा करना सड़कों पर सीखो
पार्किंग में बाइक को करते खड़ा न किंचित दीखो
चौड़ी सड़कों को पतला करने में यों जुट जाओ
चलो अतिक्रमण करो बंधु गज-दो गज जगह दबाओ
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451