बंद हुई हंसी की दुकान है
बंद हुई हंसी की दुकान है
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बंद हुई हंसी की दुकान है,
मुख पर गम के निशान है।
जिंदगी में बढ़ती मुश्किलें,
मिलता न कोई निदान है।
सूना सूना सा है यहाँ वहाँ,
गहरे सूनेपान में जहान है।
भोलेपन का गया जमाना,
हर कोई आज सुजान है।
झूठ मानसीरत है बोलता,
हरहों मे बेशक़ कुरान है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)