बंजारा दिल है
चाहत से महरूम रहा है,
क्यों किस्मत का मारा दिल है?
हर सरगम पर झूम रहा है,
पागल है, आवारा दिल है।
ढूँढ रहा वैसे ही तुमको,
जैसे मृग कस्तूरी को,
गली गली में घूम रहा है,
सच मानो बंजारा दिल है।।
संजय नारायण
चाहत से महरूम रहा है,
क्यों किस्मत का मारा दिल है?
हर सरगम पर झूम रहा है,
पागल है, आवारा दिल है।
ढूँढ रहा वैसे ही तुमको,
जैसे मृग कस्तूरी को,
गली गली में घूम रहा है,
सच मानो बंजारा दिल है।।
संजय नारायण