बंजर जमीं सा था वजूद मेरा।
बड़ा तन्हा था मैं अपनी बागबां जिन्दगी में।
बनके मेरे जिंदगी को खुशनुमा कर गए हो।।
बंजर जमीं सा था वजूद मेरा इस दुनियां में।
तुम बनके चाहतों का आसमां बरस गए हो।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
बड़ा तन्हा था मैं अपनी बागबां जिन्दगी में।
बनके मेरे जिंदगी को खुशनुमा कर गए हो।।
बंजर जमीं सा था वजूद मेरा इस दुनियां में।
तुम बनके चाहतों का आसमां बरस गए हो।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️