दोस्ती (फ़्रेंडशिप डे स्पेशल)
एक गांव में राम और श्याम नाम के दो दोस्त रहते थे ,राम बहुत ही दयालु और ईमानदार था और श्याम बहुत ही चालाक और बेईमान था ओर तो ओर जुआ भी खेलता था।
राम को श्याम की सारी बुरी आदतों का पता था ,वह उसे समझता है कि तुम अपनी बुरी आदते छोड़ दो पर श्याम नहीं माना ।
एक दिन राम और श्याम रास्ते से जा रहे थे उन्हें किसी का पर्स रास्ते में पड़ा मिला राम ने पर्स उठा लिया उसने पर्स खोलकर देखा तो उसमें दस हजार रुपये थे,उसने कहा हम इसे पुलिस स्टेशन में दे देते है इस पर श्याम ने कहा यह तुम्हें नहीं रखना मत रखो लाओ तुम यह मुझे दे दो वैसे भी पुलिस के झमेले में कौन पड़े।
राम अपने घर चले जाता है ओर श्याम जुआ खेलने और वो पूरे दस हजार रुपये हार जाता है उसके बाद जब वो रात को घर आता है तो देखता है कि पिताजी बहुत परेशान लग रहे है तो वह पिताजी से परेशानी का कारण पूछता है उसके पूछने पर पिताजी बताते मैने अपने बॉस के हाथ-पैर जोड़कर एक महीने के एडवांस दस हजार रुपये लिए थे जब में रास्ते से आ रहा था तो शायद चोरी हो गए या गिर गए।
यह सुनते ही वो थोड़ा चौक जाता है और पिताजी से पूछता आपके पर्स में कितने रुपये थे ? तो पिताजी उसकी बात का उत्तर देते हुए कहते दस हजार रुपये यह सुनकर श्याम डर जाता है ओर लड़खड़ाते लड़खड़ाते बोलता हे पिताजी वो रुपये मुझे मिल गए थे पर वो मैं जुए में हार गया यह सुनते ही पिताजी बोले तुम जुआ खेलते हो ! कहकर गाल पर एक जोरदार तमाचा मार दिया श्याम रोने लगा और कहने लगा कि पिताजी एक बार मुझे माफ़ कर दीजिए एक बार मुझे सुधरने का मौका दीजिय पिताजी श्याम को माफ कर देते हैं।
दूसरे दिन श्याम, राम को पूरा वाक्य सुनता है तो राम थोड़ा सा दुःखी हो जाता है और कहता मैंने कहा था तुम अपनी बुरी आदतें छोड़ दो पर तुम नहीं माने इन बुरी आदतों की वजह से तुम अपना ही नुकसान कर बैठे यह बात सुनकर श्याम राम से माफी माँगते हुए कहता है कि आज से में तुम्हारी हर बात मानूँगा तब से श्याम, राम की बाते मानने लगा
अब उस वाक्य को बीस साल हो गए आज राम डॉक्टर है और श्याम नामी गिरामी वकील।
???यदि श्याम के पिताजी श्याम को माफ न करते या राम जैसा दोस्त श्याम के पास न होता तो वो इस मुकाम तक नहीं पहुँच पता।
हमें भी किसी की गलतियो पर मारना या डाँटना नहीं चाहिए बल्कि उसे अच्छे से समझाना चाहिए।।???
समाप्त