फौजी को स्टेशन पर छोड़ती हुई उसकी प्रेमिका
मैं इंतजार में थी तेरे इंतजार भी इंतजार हो गया
क्या मालूम है तुझे तू वो है जिससे मुझे प्यार हो गया
तू हर पल पास है मेरे
मेरी नस-नस में वास है तेरा
मेरे ही ख्यालों में तो घर भी है तेरा
हर पल मेरी ज़ुबान पर नाम तेरा
रहता भी तो मेरी ही बाहों में है
फिर ये आंसू अलगाव की कैसे?
मेरे हाथों से कोई हाथ फिसल रहा है क्या?
मेरी बाहों से कोई बाहें निकल रही है क्या?
मेरे सर के नीचे से कोई कंधा खिसक रहा है क्या?