” फोटो कमेन्ट “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
===============
विभिन्य – विभिन्य आकृति वला कमेन्ट कखनो-कखनो ग्राह्य होइत अछि मुदा निरंतर एकर उपयोग कनि असहज बुझना जाइत छैक ! शब्द आ वाक्य क माध्यमे यदि सम्बोधन कयल जायत त आनंदक परिसीमा नहि रहित अछि ! श्रेष्ठ लोकनि केँ ” अभिनंदन ” प्रणाम “आ “गोड लगैत छी ” कहि आत्मसंतुष्टि भेटइत छैक ! ओना सब स्वतंत्र छथि ! जिनका जे नीक लगैन वो हुनका पर निर्भर छनि ! माय -बाप केँ हमरा बुझने कथमपि प्रणाम करय वला ” फोटो कमेन्ट ” नहि पठेबा क चाहि ! इ अकर्मण्यता क परिचायक बुझल जायत ! की हम अपन गुरुदेव केँ शब्द लिखी प्रणाम नहि करबाक चाहि ? पता नहि हम अकान बनल जाइत छी ! अपना सं छोट व्यक्ति पुत्र ,पुत्री ,भतीज ,भतीजी ,भागिन ,भागनि ,पौत्र ,पौत्री ,दोहित्र ,दीहित्री सबकेँ जनम दिनक शुभकामना , बधाई आ आशीर्वाद दैत छी मुदा वो ” Thanks ” आ एकटा ” GIF ” क फोटो पठा देताह ! हम अपन परंपरा आ संस्कृति केँ ताख पर राखि सब बिसरि रहल छी ! हमर पहिल कर्तव्य इएह हेबाक चाहि जे अपन जन्म दिन पर सबसं पहिने पूजा पाठ करि समस्त श्रेष्ठ लोकनि केँ स्वयं प्रणाम करि आशीष लेबाक चाहि ! चलू दूर छी कोनो बात नहि ! हमरा बुझने कखनो – कखनो छोड़ि अधिकांशतः शब्द आ भाषा क प्रयोग आभार ,अभिनंदन ,प्रणाम ,सस्नेह ,हमर सौभाग्य इत्यादि सभक प्रयोग शालीनता क परिचायक होइत अछि …….इ हमर विचार !!!
=======================
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका