फैलाकर खुशबू दुनिया से जाने के लिए
फैलाकर खुशबू दुनिया से जाने के लिए
कोई तो गीत चाहिए गुनगुनाने के लिए ।
हर नजर में अच्छा होना जरूरी है क्या
एक शख्स ही काफी है निभाने के लिए।।
नन्हीं उम्रो में मत डालो काम का बोझ
अभी पूरी उम्र पड़ी है कमाने के लिए ।
जब से आया है मुझको तैरागी का फन
जमाना लगा है मुझको डुबाने के लिए ।।
✍️कवि दीपक सरल