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8 Jun 2023 · 1 min read

फूल

पतित न हो ,ओ राही मुझे देख!

कांटों में पलता हूं,
फिर भी मैं खिलता हूं,
अपने खुशबूओं की रश्मियां हर ओर बिखेरता हूं,
अपने हौसलों से सबके चेहरे पर मुस्कान उकेरता हूं।
बंजर में उगकर,
कलियों से टूटकर,
समर्पण की तुममें नये भाव भरता हूं,
संघर्षो में खिलने का मैं चाव रखता हूं ।
।।रुचि दूबे।।

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