Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jun 2023 · 1 min read

फूल

पतित न हो ,ओ राही मुझे देख!

कांटों में पलता हूं,
फिर भी मैं खिलता हूं,
अपने खुशबूओं की रश्मियां हर ओर बिखेरता हूं,
अपने हौसलों से सबके चेहरे पर मुस्कान उकेरता हूं।
बंजर में उगकर,
कलियों से टूटकर,
समर्पण की तुममें नये भाव भरता हूं,
संघर्षो में खिलने का मैं चाव रखता हूं ।
।।रुचि दूबे।।

1 Like · 157 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मर्म का दर्द, छिपाना पड़ता है,
मर्म का दर्द, छिपाना पड़ता है,
Meera Thakur
वज़ह सिर्फ तूम
वज़ह सिर्फ तूम
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
*इक क़ता*,,
*इक क़ता*,,
Neelofar Khan
आपसी समझ
आपसी समझ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वाह भाई वाह
वाह भाई वाह
Dr Mukesh 'Aseemit'
तुम गए कहाँ हो 
तुम गए कहाँ हो 
Amrita Shukla
आबूधाबी में हिंदू मंदिर
आबूधाबी में हिंदू मंदिर
Ghanshyam Poddar
मूरत
मूरत
कविता झा ‘गीत’
हम शरीर मन बुद्धि से परे जा सकते हैं, बस हमें साहस की आवश्कत
हम शरीर मन बुद्धि से परे जा सकते हैं, बस हमें साहस की आवश्कत
Ravikesh Jha
क्यूँ ये मन फाग के राग में हो जाता है मगन
क्यूँ ये मन फाग के राग में हो जाता है मगन
Atul "Krishn"
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
O YOUNG !
O YOUNG !
SURYA PRAKASH SHARMA
" इन्द्रधनुष "
Dr. Kishan tandon kranti
मैं तुझसे बेज़ार बहुत
मैं तुझसे बेज़ार बहुत
Shweta Soni
विलीन
विलीन
sushil sarna
शैव्या की सुनो पुकार🙏
शैव्या की सुनो पुकार🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सच
सच
Neeraj Agarwal
कलम के हम सिपाही हैं, कलम बिकने नहीं देंगे,
कलम के हम सिपाही हैं, कलम बिकने नहीं देंगे,
दीपक श्रीवास्तव
गायब हुआ तिरंगा
गायब हुआ तिरंगा
आर एस आघात
ग़रीबी तो बचपन छीन लेती है
ग़रीबी तो बचपन छीन लेती है
नूरफातिमा खातून नूरी
आदमी का मानसिक तनाव  इग्नोर किया जाता हैं और उसको ज्यादा तवज
आदमी का मानसिक तनाव इग्नोर किया जाता हैं और उसको ज्यादा तवज
पूर्वार्थ
“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
Kumar Akhilesh
मैं गुजर जाऊँगा हवा के झोंके की तरह
मैं गुजर जाऊँगा हवा के झोंके की तरह
VINOD CHAUHAN
दिलों में मतलब और जुबान से प्यार करते हैं,
दिलों में मतलब और जुबान से प्यार करते हैं,
Ranjeet kumar patre
मुद्दतों बाद मिलते पैर लड़खड़ाए थे,
मुद्दतों बाद मिलते पैर लड़खड़ाए थे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
* ज्योति जगानी है *
* ज्योति जगानी है *
surenderpal vaidya
भीड़ दुनिया में हद से ज़्यादा है,
भीड़ दुनिया में हद से ज़्यादा है,
Dr fauzia Naseem shad
सूरज जैसन तेज न कौनौ चंदा में।
सूरज जैसन तेज न कौनौ चंदा में।
सत्य कुमार प्रेमी
*सैनिक (सिंह विलोकित घनाक्षरी छंद)*
*सैनिक (सिंह विलोकित घनाक्षरी छंद)*
Ravi Prakash
मेरे जैसे तमाम
मेरे जैसे तमाम "fools" को "अप्रैल फूल" मुबारक।
*प्रणय*
Loading...