सावन भादों
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
वक्त, बेवक्त मैं अक्सर तुम्हारे ख्यालों में रहता हूं
अजीब शौक पाला हैं मैने भी लिखने का..
The fell purpose of my hurt feelings taking a revenge,
*बेटे भी प्यारे होते हैं*
नज़्म _ पिता आन है , शान है ।
जब भी लिखता था कमाल लिखता था
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
खून के छींटे है पथ्थरो में
चाहे जितना भी रहे, छिलका सख्त कठोर
बदलना न चाहने वाले को आप कभी बदल नहीं सकते ठीक उसी तरह जैसे
ज़िंदगी से शिकायतें बंद कर दो
मरूधरां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
कर इश्क केवल नजरों से मुहब्बत के बाजार में l
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
परिंदों का भी आशियां ले लिया...