माना मैं उसके घर नहीं जाता,
धिक्कार है धिक्कार है ...
किसी को इतना भी प्यार मत करो की उसके बिना जीना मुश्किल हो जा
भाषा और बोली में वहीं अंतर है जितना कि समन्दर और तालाब में ह
ऐसे नहीं की दोस्ती,कुछ कायदा उसका भी था।
वो रंगीन स्याही भी बेरंग सी नज़र आयेगी,
ढलती उम्र का जिक्र करते हैं
मैं भी कोई प्रीत करूँ....!
singh kunwar sarvendra vikram
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
एक जिद मन में पाल रखी है,कि अपना नाम बनाना है
*मॉं की गोदी स्वर्ग है, देवलोक-उद्यान (कुंडलिया )*
जिंदगी के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर