फूल खिलते जा रहे हैं हो गयी है भोर।
फूल खिलते जा रहे हैं हो गयी है भोर।
आ गये पंछी अनेकों कर रहे हैं शोर।
जब सुबह में टपकती ही जा रही है ओस।
मुस्कुराने लग पड़ी है रवि किरण हर ओर।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १७/१०/२०२३
फूल खिलते जा रहे हैं हो गयी है भोर।
आ गये पंछी अनेकों कर रहे हैं शोर।
जब सुबह में टपकती ही जा रही है ओस।
मुस्कुराने लग पड़ी है रवि किरण हर ओर।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १७/१०/२०२३