फूल और स्त्री
वह जानता है
जिस दिन खिलेगा,
तोड़ लिया जाएगा,
नहीं तोड़ा गया,
तो मुरझा जाएगा,
मगर फिर भी,
उसे खिलना होगा,
ये उस फूल की ,
नियति है,
और एक स्त्री की भी।
वह जानता है
जिस दिन खिलेगा,
तोड़ लिया जाएगा,
नहीं तोड़ा गया,
तो मुरझा जाएगा,
मगर फिर भी,
उसे खिलना होगा,
ये उस फूल की ,
नियति है,
और एक स्त्री की भी।