Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2024 · 1 min read

फूलों के साथ महक का सच हैं।

फूलों के साथ महक का सच हैं।
हम सभी इंसानों का इंसानियत का सच हैं।

101 Views

You may also like these posts

लिट्टी छोला
लिट्टी छोला
आकाश महेशपुरी
44...Ramal musamman maKHbuun mahzuuf maqtuu.a
44...Ramal musamman maKHbuun mahzuuf maqtuu.a
sushil yadav
रेत समुद्र ही रेगिस्तान है और सही राजस्थान यही है।
रेत समुद्र ही रेगिस्तान है और सही राजस्थान यही है।
प्रेमदास वसु सुरेखा
ସେହି ଫୁଲ ଠାରୁ ଅଧିକ
ସେହି ଫୁଲ ଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
मैं अकेला महसूस करता हूं
मैं अकेला महसूस करता हूं
पूर्वार्थ
ज़िंदगी का दस्तूर
ज़िंदगी का दस्तूर
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
इस धरती के आगे
इस धरती के आगे
Chitra Bisht
वोट डालने जाएंगे
वोट डालने जाएंगे
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
चुरा लेना खुबसूरत लम्हें उम्र से,
चुरा लेना खुबसूरत लम्हें उम्र से,
Ranjeet kumar patre
नज़र भर देखने के लिए चेहरा छिपाना पड़ता है,
नज़र भर देखने के लिए चेहरा छिपाना पड़ता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कहने के लिए तो बहुत शब्द लाया हूँ ।
कहने के लिए तो बहुत शब्द लाया हूँ ।
ललकार भारद्वाज
अधिकार और पशुवत विचार
अधिकार और पशुवत विचार
ओंकार मिश्र
Poem
Poem
Prithwiraj kamila
हँसूँगा हर घड़ी पर इतना सा वादा करो मुझसे
हँसूँगा हर घड़ी पर इतना सा वादा करो मुझसे
Kanchan Gupta
राष्ट्रीय एकता और अखंडता
राष्ट्रीय एकता और अखंडता
Rahul Singh
D
D
*प्रणय*
रंग ही रंगमंच के किरदार होते हैं।
रंग ही रंगमंच के किरदार होते हैं।
Neeraj Agarwal
आओ बच्चों तुम्हे बताएं,बातें हिन्दुस्तान की,
आओ बच्चों तुम्हे बताएं,बातें हिन्दुस्तान की,
Jaikrishan Uniyal
असूयैकपदं मृत्युरतिवादः श्रियो वधः।
असूयैकपदं मृत्युरतिवादः श्रियो वधः।
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
आवाह्न स्व की!!
आवाह्न स्व की!!
उमा झा
गीत रीते वादों का .....
गीत रीते वादों का .....
sushil sarna
चंद ख्वाब मेरी आँखों के, चंद तसव्वुर तेरे हों।
चंद ख्वाब मेरी आँखों के, चंद तसव्वुर तेरे हों।
Shiva Awasthi
सुन मानसून ! सुन
सुन मानसून ! सुन
Ghanshyam Poddar
इस तरह कुछ लोग हमसे
इस तरह कुछ लोग हमसे
Anis Shah
निष्काम,निर्भाव,निष्क्रिय मौन का जो सिरजन है,
निष्काम,निर्भाव,निष्क्रिय मौन का जो सिरजन है,
ओसमणी साहू 'ओश'
*पहले घायल करता तन को, फिर मरघट ले जाता है (हिंदी गजल)*
*पहले घायल करता तन को, फिर मरघट ले जाता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*हीरे को परखना है,*
*हीरे को परखना है,*
नेताम आर सी
3211.*पूर्णिका*
3211.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पंडिताइन (लघुकथा)
पंडिताइन (लघुकथा)
Indu Singh
Loading...