फुर्सत
फुर्सत
25 जनवरी को विजय अपने मित्र राहुल के साथ उपायुक्त कार्यालय आवश्यक कार्यवश गया| संबंधित बाबू के पास जा कर अपना कार्य बतान लगा तो बाऊ ने कुछ भी सुनने से मना कर दिया और कहने लगा कि गणतन्त्र दिवस की तैयारी में व्यस्त हैं| एक सैकिंड की फुर्सत नहीं है| परसों आना|
साथ आया हुआ राहुल बोला, “सीटी मजिस्ट्रेट बैठी हैं क्या? हमारी रिश्तेदार है| उनसे मिल लेते हैं|”
इतना सुनकर बाऊ ने उनके हाथ से फाइल ली और उलटने-पलटने लगे| ऐसे लगा, जैसे कि अब बाऊ पूरी फुर्सत में है|
अपना काम निकाल कर कार्यालय से बाहर आकर, बाऊ को ऊल्लू बनाने की खुशी, दोनों दोस्त ठहाके लगा-लगा कर प्रकट कर रहे थे|
-विनोद सिल्ला@