“फुर्क़त”
“फुर्क़त”
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कुछ पल की फुर्क़त है झेलना मुश्किल ।
जब एक ही धड़कन में धड़कते दो दिल।
तलाशती रहती है निगाहें अपलक तुम्हें ;
जब तक फिर से ना जाते हो तुम मिल ।।
“स्वरचित एवं मौलिक”।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 08 / 02 / 2022.
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