फुदक फुदक कर ऐ गौरैया
फुदक फुदक कर ऐ गौरैया
मेरे आंगन आ जाना ।
मीठा मीठा कलरव अपना
आकर जरा सुना जाना ।
राजू – रानी ढूँढ रहे हैं
कहाँ गयी हो गौरैया,
नहीं द्वार अब तुम आती
रूठी क्यों हो गौरैया ।
दाना बिखरा है अंगन में
चुगने उसको आ जाना ।
मीठा मीठा कलरव अपना….
कहीं डाल पर, कहीं ताल पर
चीं – चीं गाना गाती थीं ,
मधुर धुनों में बातें करके
मन को बड़ा लुभाती थी ,
सुबह सवेरे देखूँ छत पर
कुछ तो दर्श दिखा जाना ।।
मीठा – मीठा कलरव अपना…..
तुम धरती की शोभा न्यारी
समझ सभी की अब आया ,
कंक्रीट का बना कर जंगल
मानुष मन में पछताया ,
पेड़ लगाना , शाख बचाना
बाल वृंद ने है ठाना ।।
मीठा मीठा कलरव अपना….
डाॅ रीता सिंह
चन्दौसी सम्भल