Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2023 · 1 min read

फुटपाथ

8. फुटपाथ

इलाहाबाद के फुटपाथ पर वह तोड़ती पत्थर , लिखते समय निराला को नही था ये भान ।
कि आधुनिक भारत के निर्माता करेंगे ,
उनकी कविता का इतना सम्मान ।।

देश के हर शहर मे , गॉव मे ,
गली मे , ठॉव मे ,
हरदम दिखाई देंगी ।
पत्थर तोड़ती औरतें ,
और उनकी गोद मे होंगे ,
दम तोड़ते बच्चे ।।

भय भूख भ्रष्टाचार ,
शोषण गरीबी अत्याचार |
इन सबको ढूढ़ने के लिए ,
पलटनी नहीं पड़ेंगी किताबें ।
इनसे प्रतिबिंबित होंगी ,
सामंती अट्टालिकाओं की
घुमावदार मेहराबें ।।

नींवों मे जिनकी दफन होगा ,
अतीत का इतिहास ।
और शीर्ष पर दिखाई देगा ,
भविष्य का अट्टहास ।।

वर्तमान को झोंककर ,
भविष्य की भट्टी मे ।
चारों तरफ पाओगे ,
खून ही खून विनाश ही विनाश ।।
*********
प्रकाश चंद्र , लखनऊ
IRPS (Retd)

2 Likes · 3 Comments · 209 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Prakash Chandra
View all
You may also like:
ज़िंदगी का भी
ज़िंदगी का भी
Dr fauzia Naseem shad
हे माँ कुष्मांडा
हे माँ कुष्मांडा
रुपेश कुमार
*संस्कार*
*संस्कार*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
4594.*पूर्णिका*
4594.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इस जग में है प्रीत की,
इस जग में है प्रीत की,
sushil sarna
Black board is fine.
Black board is fine.
Neeraj Agarwal
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"I am slowly learning how to just be in this moment. How to
पूर्वार्थ
बच्चे ही अच्छे हैं
बच्चे ही अच्छे हैं
Diwakar Mahto
कमौआ पूतोह
कमौआ पूतोह
manorath maharaj
दगा बाज़ आसूं
दगा बाज़ आसूं
Surya Barman
दृष्टि
दृष्टि
Ajay Mishra
मधुर स्मृति
मधुर स्मृति
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
* फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब *
* फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Poem
Poem
Prithwiraj kamila
जिंदगी! क्या कहूँ तुझे
जिंदगी! क्या कहूँ तुझे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
किस बात का गुमान है
किस बात का गुमान है
भरत कुमार सोलंकी
¡¡¡●टीस●¡¡¡
¡¡¡●टीस●¡¡¡
Dr Manju Saini
दीपावली का पर्व महान
दीपावली का पर्व महान
हरीश पटेल ' हर'
मानवता का है निशान ।
मानवता का है निशान ।
Buddha Prakash
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
Chaahat
"बैलगाड़ी"
Dr. Kishan tandon kranti
*पहले घायल करता तन को, फिर मरघट ले जाता है (हिंदी गजल)*
*पहले घायल करता तन को, फिर मरघट ले जाता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
श्रम साधिका
श्रम साधिका
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
कोई भोली समझता है
कोई भोली समझता है
VINOD CHAUHAN
🙅दोहा🙅
🙅दोहा🙅
*प्रणय*
चाहत थी कभी आसमान छूने की
चाहत थी कभी आसमान छूने की
Chitra Bisht
अभिनेता वह है जो अपने अभिनय से समाज में सकारात्मक प्रभाव छोड
अभिनेता वह है जो अपने अभिनय से समाज में सकारात्मक प्रभाव छोड
Rj Anand Prajapati
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है
शेखर सिंह
करके याद तुझे बना रहा  हूँ  अपने मिजाज  को.....
करके याद तुझे बना रहा हूँ अपने मिजाज को.....
Rakesh Singh
Loading...