फिल्हाल विचाराधीन है
ये कहानी एक ऐसी लडकी की है, जो ज़िंदगी में आगे बढ़ना चाहती है; IAS बन देश सेवा करना चाहती है । लेकिन 12वीं
के बाद ही, 16 साल की उम्र में उसकी शादी कर दी जाती है।
फिर उसे किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है? उसे किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है? क्या वो अपना सपना पूरा कर पाती है? या फिर आम लड़कियों की तरह वो भी ज़िंदगी की चुनौतियों की चुनौतियों के सामने घुटने टेक देगी??? अक्सर होता यूँ है कि लड़कियाँ शादी के बाद, अपने ख़्वाबों से समझौता कर लेती हैं । अपनी नियति मान कर चुप बैठ जाती हैं। हालांकि ज़माना बदल रहा है, लेकिन आज भी ज्यादातर परिवारों में, लड़कियों के लिए सोच आज भी वही ” ढाक के तीन पात ” जैसी सोच है।
चलिए फिर चलते हैं कहानी की ओर…….
एक लड़की थी। उसका नाम नाबिया था। उसके 12 वीं की परीक्षा तुरंत ख़्तम ही हुई थी। उसका सपना IAS बन कर देश सेवा करना था। उसने स्नातक के लिए विषय भी चुन लिया था। बहुत ख़ुश थी वो। उसकी आँखों में ज़िंदगी में आगे बढ़ने का जुनून साफ़ देखा जा सकता था।
एक दिन वो बहनों के साथ ख़ुश- गप्पियों में मसरूफ थी। तभी उसकी छोटी बहन ख़ुशी से चिल्लाते हुए आती है, “अप्पो की शादी होगी – अप्पो की शादी होगी।” नाबिया को गुस्सा आ जाता है और उठ कर उसे एक थप्पड़ लगा देती है; और अम्मी के रूम की तरफ़ बढ़ जाती है। ताकि पता कर सके कि वाक़ई ये बात सच तो नहीं है। कमरे के दरवाज़े पर उसे अम्मी- अब्बू के बात- चीत सुनाई पड़ती है।
अब्बू कह रहे थे, “इसी हफ़्ते मंगनी कर लेते हैं और अगले महीने शादी”। अम्मू:- “इतनी जल्दी कैसे होगा सब, फिर नाबिया भी मानेगी या नहीं, वो तो इतने बड़े- बड़े ख़्वाब देख कर बैठी है।” अब्बू:- “क्यों नहीं मानेगी, मैंने ज़ुबान दे दी है, फिर इतना अच्छा लड़का हमारी नाबिया के लिए कहाँ से ढूँढूंगा? पढ़ाई तो शादी के बाद भी होती रहेगी, जावेद भाई और उनका परिवार बहुत ऊँचे ख़्यालों वाला है, नाबिया की पढ़ाई पर कभी रोक- टोक नहीं करेंगे; फिर वो मेरा बचपन का जिगरी यार भी तो है।”
इतनी बात सुन कर नाबिया दरवाज़े से ही लौट जाती है। उसके सारे सपने टूटते हुए नज़र आते हैं। सोचती है, अब्बू को इतनी जल्दी क्या पड़ी है मेरी शादी करने की।
मैं अभी बहुत पढ़ना चाहती हूँ, IAS बनना चाहती हूँ। फिर
अभी तो मैं 16 की ही हुई हूँ। उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। कल तक जो वो लड़कपन के सुहाने सपनों में गुम थी; अब उसे अपना जीवन अंधकारमय नज़र आ रहा था। वो फूट- फूट कर रो पड़ती है। वो सोचती है, अब्बू से बात करूँगी और मनाऊँगी। कम से कम मुझे स्नातक तो करने दें।
तभी अब्बू के खाँसने की आवाज़ आती है। लगता है अब्बू इधर ही आ रहे हैं। वो अपने आँसू पोंछने लगती है।
“अस्सलामो अलैकुम् अब्बू ”
और सर झुका कर बैठ जाती है।
“व’अलैकुम् सलाम ” अब्बू बैठते हुए जवाब देते हैं।
कुछ देर के लिए ख़ामोशी छा जाती है।
फिर अब्बू बोलना शुरू करते हैं, “बेटा नाबू, मैंने अपने दोस्त जावेद के बेटे रूहान से तेरी शादी तय कर दी है।
रूहान अपने घर का देखा- भाला बच्चा है, निहायत ही शरीफ़ और नेक लड़का है। ज़िंदगी बहुत अच्छी गुजरेगी।
“पर अब्बू, मैं अभी आगे पढ़ना चाहती हूँ, मेरी सभी सहेलियाँ बाहर जा रही हैं पढ़ने के लिए।”
“बेटा, मैं पढ़ाई करने से कहाँ रोक रहा हूँ; तू जितना पढ़ना चाहे, उतना पढ़। मैं तेरे साथ हूँ। पढ़ाई तो शादी के बाद भी हो सकती है। रूहान बहुत अच्छा बच्चा है, वो तेरी पढ़ाई में कोई रोक- टोक नहीं करेगा। बल्कि वो तो और तेरी पढाई में मदद करेगा। मैं भी जावेद भाई से बात कर लुंगा तेरी पढाई के लिए, जावेद कभी मना नहीं करेगा।”
ये सुनकर नाबिया चुप हो जाती है। अब्बू सर पे हाथ फेरते हुए चले जाते हैं।
नाबिया बहुत ही हताश और निराश हो जाती है अंदर ही अंदर। अभी कल ही की तो बात है, जब सभी सहेलियाँ आपस में बात कर रही थीं, कि मैं ये करूँगी, मैं वो करूँगी। उसने कितने फ़ख़्र से बताया था कि मैं IAS बन देश की सेवा करना चाहती हूँ। सभी सहेलियाँ सुनकर बहुत ख़ुश हुई थीं, और उसका हौसला बढ़ाया था। ये सोचते हुए नाबिया फूट- फूट कर रोने लगती है, और रोते- रोते सो जाती है।
शाम घिर आई है। नाबिया अभी तक सो कर नहीं उठी है।
“नाबिया.. नाबिया.. ” आवाज़ लगाते हुए अम्मी रूम में आती हैं।
अम्मी की आवाज़ से नाबिया की नींद टूट जाती है, और उठ कर बैठ जाती है।
उसकी आँखें सुजी होती हैं, अम्मी ये देख कर भी नज़र चुराते हुए, चाय बनाने का कह के रूम से निकल जाती हैं।
“अम्मू.. अम्मू.. ” नाबिया आवाज़ लगाते हुए अम्मी के पीछे आ जाती है।
“अम्मू.. आप अब्बू से एक बार बात करो न… आप तो जानती हो न, मुझे अभी बहुत पढ़ना है; फिर IAS भी बनना है मुझे, मेरे हमेशा बहुत ही अच्छे नंबर आये हैं क्लास में। किसी तरह से अब्बू को मना लो न आप। आप बात करोगे तो मान जाएंगे अब्बू। फिर अभी तो मैं 17 की ही हुई हूँ; मैं शादी के लिए बहुत छोटी हूं।” कह कर उसने अम्मी के गले में बाहें डाल दी, लाड़ से। ”
अम्मी, “अच्छा बात करूँगी। अब चाय बना कर ला जल्दी।”
ये सुन कर नाबिया ख़ुशी- ख़ुशी चाय बनाने के लिए बढ़ जाती है।
अम्मी को चाय दे कर, अपने रूम में आ जाती है।
अभी आ कर बैठी ही थी कि अम्मी की आवाज़ आती है, “बेटा देख तो किसका फोन है? ”
आकर देखती है तो, फोन उसकी दोस्त अरुषा का फोन था।
बहुत ख़ुश हो जाती है, और फोन ले कर रूम में आ जाती है।
“हैल्लो! अरु, पता है आज मैं तुझे बहुत मिस कर रही थी।”
क्या बात है सोना? तेरी आवाज़ ऐसी क्यों लग रही है? आज बहुत उदास लग रही है, कुछ हुआ है क्या?”
“नहीं.. नहीं तो.. कुछ भी नहीं… बस अभी सो कर उठी हूँ न, इस लिए.. ‘
“तू तो कभी दिन में नहीं सोती है सोना, जरूर कुछ हुआ है… बता न क्या बात है..? तू नहीं बताएगी न, कट्टी हो जाऊँगी..
मैं भी तुझे कुछ बताने वाली थी नहीं बताऊंगी.. ”
“तू है न अक्सर ऐसे ही मुझे ईमोशनली ब्लैकमेल कर के, मुझ से सब उगलवा लेती है। लेकिन पहले आज तू बताएगी; चल बता क्या बताने वाली थी? ”
“पहले तू.. पहले तू… ” दोनों में बहस होने लगती है।
फिर अरु बोलती है, “सोना, तू मेरे घर आ जा, फिर बताती हूँ तुझे। ”
“नहीं यार, मैं नहीं आ पाऊँगी, तू तो जानती है न मेरे अब्बू को,
उन्हें पसंद नहीं, मेरा बिना जरूरत के बाहर आना- जाना। ऐसा कर तू ही आ जा मेरे यहाँ। ”
“ओके! मैं ही आती हूँ, तेरे घर। कल शाम में आती हूँ।
बाय… टेक केयर… ”
“बाय… सी यू…. ”
क्रमशः