फिल्म – कब तक चुप रहूंगी
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फिल्म – कब तक चुप रहूंगी। स्क्रिप्ट – रौशन राय का
मोबाइल नंबर – 9515651283/7859042461
तारीक – 14 – 01 – 2022
और कृष्णा मन ही मन सोच रहा था कि मेरी मां मुझे कहती थी शादी करने के लिए लेकिन अब मैं अपने मां की बात मानकर राधा से शादी कर लेंगे ऐसे सोचते सोचते वहां पर पहुंच गया जहां पर राधा रहती थी।
तभी राधा का फोन आया कृष्णा के दोस्त के मोबाइल पर राधा बोली भैया मुझे आज भी घुमा दो
दोस्त ने कहा ठीक है मैडम जी हम अभी होटल पर ही है यदि आप तैयार हैं तो आ जाइए
राधा हां मैं तैयार हूं अभी आती हूं
आज राधा कुछ स्टाइलिश अंदाज में थी आज न हाथ में चुड़ी न मांग में सिंदूर पर काॅफी कलर का लिपिस्टिक आंख का काजल खुले बाल किसी कयामत से कम नहीं लग रही जिसे देख कृष्णा को लग रहा था कि वो अभी तुरंत राधा को अपने बाहों में भर ले पर अपने आप पर कंट्रोल किया
राधा आई और बोली क्या हाल समाचार हैं भैया
दोस्त ठीक है मैडम जी अरे ये कौन बैठा है गाड़ी में
दोस्त आप खुद जाकर देख लिजिए शायद आप पहचान जाएंगे
राधा ओके कहके ओटो में झुककर देखी तो चौंक गई और बोली पड़ी अरे कृष्णा तुम राधा अत्यधिक खुश हुईं
और कृष्णा ओटो से निकल कर बाहर आया राधा कृष्णा का और कृष्णा राधा का हाल समाचार पुछा दोनों बड़े प्रसन्न मुद्रा में थे । तब तक राधा के पति विशाल वहां आ पहुंचा राधा के बाहों में बाहें डाल कर कहा बड़े खुश नजर आ रही हो सबके सब क्या बात है
राधा हां खुशी की बात है कृष्णा अचानक मुझे मिल गया मैं आपको बताई भी थी कि एक कृष्णा हैं जो बांसुरी बहुत अच्छा बजाता है जिसके बांसुरी धुन की जैसे मैंदिवानी हो गई थी ये वही कृष्णा है
राधा कृष्णा ये मेरे पति मिस्टर विशाल जी हैं
ये बात सुनते ही कृष्णा को दिन में अंधेरा लगने लगा पैर के नीचे से जमीन खिसक गया मन तरफ उठा पर कृष्णा अपने आंसू को आंख से झलकने नहीं दिया और चेहरे पर झुठी हंसी का चादर चढ़ाकर बोला बहुत बढ़िया मैडम जी
पर सभी ये समझ गया कि कृष्णा ये बात बहुत दर्द को दवाकर अपने अंदर समेट कर रखा और फिर ये बातें राधा से कहा
राधा आज बहुत अच्छी तरह से समझ गई कि वाकई कृष्णा को हमसे प्यार हो गया है। पर अब कुछ नहीं होने वाला है क्योंकि कृष्णा को राधा से प्यार है पर राधा को नहीं, राधा को विशाल से प्यार हुआ और वो आज पति-पत्नी बनकर रामपुर घुमने आया है।
अब राधा का यही परम सत्य है जिसे कृष्णा को भी मानना पड़ेगा
राधा ने अपने पति से कृष्णा का परिचय करवाया और अपने पति को कृष्णा का परिचय दिया
जब राधा और विशाल घुमने जा रहा था तो राधा ने कहा कृष्णा तुम आज हमारे साथ रहो
कृष्णा भला राधा का बात कैसे काट देता
शायरी
दिवानों से न पुछो उनके दिललगी का हाल
अपनी फिकर छोड़कर रखता दिलरुबा का ख्याल
इश्क में उन्हें चाहे जो कुछ भी मिलें
रखता है उसे वो सारी उम्र भर सम्भाल
बीना कुछ बोलें वो सबसे पहले आगे की सीट जो ड्राइवर के बाजू में होता है उसी पर जाकर बैठ गया
राधा और विशाल पिछे सीट पर बैठ कर बोला चलो और ओटो चल दिए
राधा कृष्णा से और बातें करना चाहती थी पर ओटो के झड़झड़ाहट में बात नही हो पा रहा था तो राधा ने ओटो को रुकवायी और कृष्णा को कहा तुम मेरे पास आकर बैठ जाओ
अब कृष्णा को संकोच होने लगा क्योंकि राधा शादी सुदा थी और उसका पति साथ में कृष्णा किसी भी रुप में राधा को बदनाम नहीं करना चाहता उनके पति को कोई गलत फहमी न हों
राधा समझ गई कि वो क्यों नहीं पिछे बैठना चाहता तब उसने अपने पति को बोली कि वो कृष्णा को कहें पिछे बैठने के लिए
विशाल ने कहा और कृष्णा राधा के बाजू में बैठ गया
इधर कृष्णा उधर विशाल और बीच में राधा अब कृष्णा राधा के बहुत करीब से महसूस कर रहा था पर सादा मन सच्ची प्रेम कहां कुछ बुरा सोचने देता है। इसलिए वो राधा में सटना नहीं चाह रहा था
जिससे राधा भली-भांति समझ रही थी पर वो भी कुछ नहीं कहीं क्योंकि राधा को अपने पति का भी ख्याल था कि उसकी पत्नी किसी दूसरे मर्द से कैसे सटकर बैठे
राधा पुछने लगी कृष्णा तुमने शादी कर लिया होगा और तुम पांच छः बच्चे होंगे
कृष्णा चुप रहा और कृष्णा का दोस्त बोल पड़ा मैडम जी आप पांच छः बच्चे की बात कर रही है ये तो अभी तक शादी नहीं किया है
राधा – क्यों
दोस्त – किसी के लौट आने के लिए
राधा – किसके लौट आने के लिए
दोस्त – अब जाने दिजिए मैडम जी क्यों उस वेवफा को भला बुरा कहें बस अपनी अपनी किस्मत कि बात है
राधा बखुबी समझ रही थी कि वो मैं ही हूं पर मैं वेवफा कैसे हुई। इन बातों से ध्यान हटाकर बोली दुनिया में एक ही लड़की थोड़ी ही है दिल लगाने के लिए
एक लड़की के चक्कर में अपना जिन्दगी खड़ाब करना ये तो मुझे पोसेवुल नहीं लग रहा है
जिस तरह से वो लड़की इसें छोड़ गई उसी तरह से इसको भी उसे जीकर दिखा देना चाहिए
दोस्त – यही बात तों इसे हम सब कब से समझते है पर ये किसी का बात माने तब न
अगर कृष्णा कहें तो मैं इसके लिए लड़की तलाश कर और अपने से खर्चा उठाकर कृष्णा का शादी करवा सकती हूं
क्योंकि राधा ये समझ रही थी कि कृष्णा को अब मैं नहीं मिल सकती
मुझे तो कोई अपना प्यारा सा मिल गया है जिससे मैं बहुत प्यार करती हूं
कृष्णा सिर्फ सुन रहा था इस पर विशाल बोला अरे भाई तुम सिर्फ बातें बनाने में लगे हों एक बार कृष्णा से भी पुछ लो कि उनके मन में क्या है
विशाल – क्या कृष्णा तुम शादी करना चाहते हो
कृष्णा मै तो शादी कर लिया गम और तन्हाईयो से इसके सहारे मैं तमाम उम्र गुजार लूंगा
और हां आप लोग मेरे मोहब्बत को बेवफा कहके गाली न दें
शायद हमारे प्यार में कमी रह गया होगा
राधा – अच्छा कृष्णा तुम हमारे साथ शहर चलोगे, हो सकता है कि शहर में तुम्हारे मन बदल जाए और तुम उसे भुलकर
कृष्णा – मैडम जी मैं अपनी मोहब्बत को कैसे भुल सकता हूं जितना भुलना चाहता हूं वो उतना ही याद आती हैं
राधा तो शहर चलों हो सकता है कि वहां तुम्हारा मन बहल जाए तुम्हें मैं अपने साथ ही रखुंगी
कृष्णा का दोस्त – हां हां मैडम जी कृष्णा आपके साथ जरुर जाएगा ये मेरा वादा है
विशाल – क्या बात है कृष्णा से पुछे बीना ही तुम वादा कर रहे हो
दोस्त – यही तो असली दोस्त का पहचान है मैं अभी ये भी कह सकता हूं कि कृष्णा के मन में क्या चल रहा है
विशाल – अच्छा तो बताओ कि कृष्णा का मन राधा जी का बात मानने के लिए तैयार हो गया है।
दोस्त – माना नहीं है पर मान जाएगा
पुरे दिन सब घुमें और शाम को अपने अपने घर गये
तभी राधा के फोन पर उनके पापा का फोन आया राधा सब हाल समाचार ली और अपना दी
पापा – बेटी कैसी हो तुम और दामाद जी
राधा – मैं एकदम फिट हूं और आपका दामाद भी
पापा – बेटी कृष्णा चला गया दो दिन से नहीं हैं घर में बीना बताएं वो निकल गया।
राधा – कोई बात नही पापा मैं यहां से दुसरा कृष्णा लेके आ रही हूं।
उधर कृष्णा का दोस्त कृष्णा से कहता है तु मैडम के साथ शहर चलें जा तु वहीं पर ठीक से रह पाएगा
राधा मैडम तुम्हारे सामने में रहेगी और तु उसके सामने इससे दोनों को बहुत सुकून मिलता रहेगा और राधा मैडम बहुत अच्छी है वो तुम्हारा बहुत ध्यान रखेंगी वो जान चुकी है कि कृष्णा हमें बहुत प्यार करता है इसलिए वो अब तक शादी नहीं किया
कृष्णा – अरे यार मैं चला जाऊंगा तो मां का देखभाल कौन करेगा
दोस्त – मां का देखभाल मैं करुंगा
कृष्णा – ऐसे थोड़े होता है पर मां नहीं मानेगी और हमारे मां का देख रेख भला तु क्यों करेगा
दोस्त – देख मैं तुम्हारे मां से बात कर लिया हूं तु चाहें तो मां जी से पुछ लें और तु सदा के लिए थोड़े ही जा रहा है कुछ दिनों में जब तुम अपने आप को समझा लेगा कि ये चीज हमारे नशीब में नहीं है और फिर से तु मेरा वही कृष्णा बन जाएगा तो हम तुम्हें खुद नहीं कहेंगे जाने के लिए समझा मेरे यार
तब तक वहां मां पहुंच गई और कृष्णा से बोली बेटा तुम्हारा दोस्त जो कह रहा है वहीं सच है
मैं तुम्हारा मां हूं तुम्हें खोया खोया कैसे देख सकती हूं इसलिए मैं ने ही तुम्हारे दोस्त से ये सब कहीं थी
तु जा कुछ दिनों के लिए और मैं अभी उतना बुढ़ी भी नहीं हुई हूं। मैं अपना सारा काम खुद कर लूंगी और अपने पड़ोसी हैं जो सब लोग अच्छे हैं और तुम्हारा दोस्त भी तो है
कृष्णा – ठीक है तब मैं चला जाऊंगा
दोस्त ने राधा जी को फोन किया और कृष्णा के चलने की बात कही
उधर से राधा जी ने कहा ठीक है मैं कल ही निकलूंगी कृष्णा को तैयार करके लें आना
तों दोस्त ने कहा कि कृष्णा का ये ख्वाहिश है कि आप मेहमान बनकर सिर्फ आज रात हम लोगों के साथ हमारे यहां रह कर कल कृष्णा के साथ चलें जाना
राधा – हां ठीक है आज रात हम और हमारे पति खाना पर कृष्णा के घर आ रहें हैं
दोस्त ने जब कृष्णा को कहा कि मैडम जी आज रात खाना पर तुम्हारे घर आ रही है तो कृष्णा के खुशी का ठिकाना न रहा।
कृष्णा अपने घर को सजा दिया और अपने औकात के अनुसार राधा के लिए खुब अच्छा अच्छा व्यंजन बना कर रखा और राधा के आने का इंतजार करने लगा
राधा अपने पति के साथ वहां पहुंची कृष्णा और कृष्णा के मां दोस्त पड़ोसी ने राधा और उनके पति का खुब स्वागत किया।
उसी भीड़ में एक औरत राधा के पति विशाल को पहचान रही थी कि यही व्यक्ति हमें पैसे का लोभ और हमारे बेटी को अच्छा काम दिलाने का वादा करके ले गया जो अभी तक लौट कर नहीं आई उस समय कृष्णा और कृष्णा का दोस्त चार दिन के लिए दूसरे गांव गया था । जब उस औरत ने कृष्णा को सारे बात बताई तो कृष्णा ने कहा काकी अभी तुम कुछ भी मत करो। ये अभी हमारे मेहमान है और हमारे राधा का पति है जैसा तुम कह रही हों अगर ऐसा बात है तो मैं शहर जा रहा हूं सारे सच्चाई का पता लगाउंगा और तुम्हें तुम्हारे बेटी वापस करवाउंगा ये मेरा वादा हैं तुम से परंतु अभी कुछ मत करो नहीं तो हमारे राधा को बहुत तकलीफ़ होगी जो मैं किसी किमत पर नहीं होने दुंगा । कृष्णा के बात सुनकर वो बात मान गई
कृष्णा आज रात को एक यादगार रात बनाना चाहता और वो राधा के लिए जैसे सब कुछ लूटा देना चाहता है शायद कृष्णा के जीवन में ये रात फिर कभी नहीं आएगी ।
सारे लोगों ने राधा और विशाल का खुब स्वागत किया । कृष्णा का मां भी राधा से बहुत बातें कि और अपने बेटे कि पसंद कि तारिफ कि और राधा से कृष्णा का ध्यान रखने का निवेदन कि।
राधा ने भी कृष्णा के मां से वादा कि की वो कृष्णा का बहुत ध्यान रखेंगी
सुबह दस बजे का बस का टिकट था सो कृष्णा कि मां राधा को अपने हैसियत के अनुसार कुछ यादगार चीजें दी जिसमें एक लाल साड़ी लाह कि चुड़ी सिंदुर मेकअप का कुछ समान और ये कहीं कि हर सुहागन को अपने पति के सामने खुब सज धज के रहना चाहिए
राधा ने पूछा ऐसा क्यों
तो कृष्णा के मां बोली बेटी हर सुहागन को अपने पति के सामने इसलिए सज धज के रहना चाहिए ताकि उनके पति का मन दुसरे लड़की या औरत के प्रति आकर्षित न हो
राधा बात को समझ गई और हां कहके कृष्णा के मां का पैर छुकर प्रणाम कि और कृष्णा को साथ लेकर अपने घर अपने शहर चल दी दोनों तरफ से हाथ हिलाकर बाय बाय हुआ और तीनों लोग सबके आंखों से ओझल हो गया और बस से होकर शहर अपने घर आ गये
कृष्णा पहली बार शहर आया था और इतना बड़ा घर देख रहा था वो खुश भी था और अजीब सा महसूस भी कर रहा था
राधा कृष्णा को हर कुछ दिखा रही थी और बारीकी से समझा रही थी।
और अंत में वो कृष्णा को उनके कमरे में लें गई और बोली
कृष्णा ये तुम्हारा कमरा हैं तुम अपना सारा सामान इसी कमरे में रखना
कृष्णा ठीक है कहके सर हिलाया
कृष्णा राधा के पिता जी का मन से सेवा करने लगा और एक महीना होते होते वो एकदम फिट हो गये जैसे कभी बिमार ही नहीं थे धीरे धीरे राधा के पिता जी के कृष्णा बहुत करीब और बहुत जम गया राधा के पिता जी कृष्णा से बाप बेटे कि तरह हर बात कहने और सुनने लगे
राधा के पिता जी कृष्णा के काम से बहुत खुश रहने लगे
और धीरे धीरे सारे काम कृष्णा को सौंपने लगें।
समय धीरे धीरे बीतते छः महीना गुजर गया और विशाल के बारे में कुछ पता नहीं लग रहा था कि वह क्या कर रहा है और क्या नहीं।
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