फिल्मों वाले अपराधी !
फुटपाथों पर सोने वाले, आज खून के आंसू रोते,
समझ गये हैं फिल्मों वाले, नही कभी अपराधी होते,
समझ गये हैं पैसे वालों, का रुतबा अब भी कायम हैं
आम आदमी घिसता पिटता, बूढ़ा सा बेबस-बेदम हैं !
– नीरज चौहान
फुटपाथों पर सोने वाले, आज खून के आंसू रोते,
समझ गये हैं फिल्मों वाले, नही कभी अपराधी होते,
समझ गये हैं पैसे वालों, का रुतबा अब भी कायम हैं
आम आदमी घिसता पिटता, बूढ़ा सा बेबस-बेदम हैं !
– नीरज चौहान