फिर हो गया सबेरा,सारी रात खत्म,
फिर हो गया सबेरा,सारी रात खत्म,
बिना होठों के हुई, सारी बात खत्म।
पलकों ने बना लिया था दरिया एक
दो आंखें बरसीं,और बरसात खत्म।।
वो आता है ख़्वाबों में, रोज़ मिलने
फिर सुबह होते ही,मुलाक़ात खत्म।।।
विशाल बाबू ✍️✍️