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18 Aug 2024 · 1 min read

फिर से नही बसते है वो दिल

फिर से नही बसते है वो दिल
जो एक बाद दिल की नियत से उजड़ जाते है
कद्र कितनी भी सजा लो गालिब
अंदर से जिंदा कोई बाहर नही आता

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