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25 Dec 2024 · 1 min read

फिर सिमट कर बैठ गया हूं अपने में,

फिर सिमट कर बैठ गया हूं अपने में,
खुद को पाने की चाहत है बस सपने में
लौट रहा हूं कंधे से लटकाए खाली हाथ
सिगरेट जलाकर, बुझा रहा हूं अंदर की आग

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