फिर सिमट कर बैठ गया हूं अपने में,
फिर सिमट कर बैठ गया हूं अपने में,
खुद को पाने की चाहत है बस सपने में
लौट रहा हूं कंधे से लटकाए खाली हाथ
सिगरेट जलाकर, बुझा रहा हूं अंदर की आग
फिर सिमट कर बैठ गया हूं अपने में,
खुद को पाने की चाहत है बस सपने में
लौट रहा हूं कंधे से लटकाए खाली हाथ
सिगरेट जलाकर, बुझा रहा हूं अंदर की आग