फिर बसन्त आएगा
फिर बसन्त आयेगा।
रूखी इन डालियों पर
नव यौवन छायेगा ।।
मुरझाए झुलसे ये
पेड़ फिर हरे होंगे ।
गांठ गांठ पोर पोर
मधुर रस भरे होंगे ।।
इठलाते फूलों पर
भ्रमर गीत गायेगा ।
फिर बसन्त आयेगा ।।
कूकेगी कोयल नव
तान कण्ठ भर लेगी ।
थके हुए मौसम की
पीड़ा सब हर लेगी ।।
कोमल किसलय का
मन मृदुल रूप भायेगा ।
फिर बसन्त आयेगा ।।
रक्तिम आभा से सज
दहकेंगे वन पलाश ।
पीली झूमर ओढ़े
महकेंगे अमलताश ।।
सुधा सिंधु से सूरज
रस घट भर लायेगा ।
फिर बसन्त आयेगा ।।