फिर जन्मों महावीर।
फिर जन्मों महावीर।
अत्याचार बहुत बढ़ गयो है।
भकतन पर भारी भीर । फिर जन्मों महावीर।
आज मनुष्य मनुष्य नहीं रहा है।
चारों तरफ अत्याचार ही अत्याचार हो रहा है।
अब कौन बचायेगा ,कौन हरेगा पीर।
फिर जन्मों महावीर।
दुष्टों का आन करौ संहार।
ज्ञान से बंचित हुए नर और नार।
हे महावीर ,बन कर आ जायो क्रांतिकारी।
फिर जन्मों महावीर।