ग़म-ए-जानां से ग़म-ए-दौरां तक
शाम की तनहाई की
बातें फिर कभी
दगा और बेवफ़ाई की
बातें फिर कभी…
(१)
आ रो लें हम बैठकर
मौजूदा हालात पर
दर्द भरी शहनाई की
बातें फिर कभी…
(२)
नंगों और भूखों की
चर्चा छेड़ अभी
दिल-शिकन हरजाई की
बातें फिर कभी…
(३)
देख भगतसिंह के सपने
कैसे टूट रहे
अपने घर की तबाही की
बातें फिर कभी…
(४)
दुनिया भर में देश यह
बदनाम हो रहा
प्यार की रुसवाई की
बातें फिर कभी…
(५)
चलती-फिरती लाशों में
बदले जा रहे लोग
यादों की परछाई की
बातें फिर कभी…
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Shekhar Chandra Mitra
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