फितरत,,,
फितरत,,, कवि
फितरत हमारे प्यार की है आसमान सी।।
इज्जत जुड़ी है जिससे सदा खान दान की।।
कहके कभी बदलते नहीं हम जुबान से।
रिश्ता रहा अटूट सदा आन-बान से।।
सदियों से राह चल रहे मानस महान की।
इज्जत जुड़ी हुई है जिससे खानदान की।।
कठिनाइयों को देख के बदलें नहीं रस्ते।
इतने तो हम कभी न रहे दोस्तो
सस्ते।।
आ जाए जब भी बात कोई कुछ भी शान की।
फितरत हमारे प्यार की है आसमान सी।।
हम जिसको चाहते हैं उसे दिल से चाहते।
फिर उसको हमेशा के लिए अपना मानते।
फितरत यही है आज भी अपनी उड़ान की।
इज्जत बड़ी है अब भी हमें खानदान की।।
मर जाएंगे मिट जाएंगे पर साथ रहेंगे।
अंतिम क्षणों में हाथ में पर हाथ रहेंगे।।
फितरत यही रही है सदा खानदान
की।
फितरत हमारे प्यार की है आसमान सी।।
बृंदावन राय सरल सागर एमपी मोबाइल नंबर 7869218525