फितरत
फितरत
खेत में खड़े बिजूकों से कोई नहीं डरता ,,
पशु पक्षी मन ही मन हंसी उड़ाते हैं ;;
परिंदे तो उनके सर पर बैठकर
बीट करते हैं और व्यंग करते हुए
उड़ जाते हैं ,,,,
जानवर बगल से मुह चिढ़ा कर
निकल जाते हैं और
दुखी होते हैं ,,
आदमी की
फितरत को यादकर
उसकी अपने और दूसरों को
बहकाने और धोखा देने ,
जहरीली बिसात
वाली सनातनी परंपरा को यादकर ।
सतीश पाण्डेय