Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Oct 2023 · 1 min read

फिजा में तैर रही है तुम्हारी ही खुशबू।

फिजा में तैर रही है तुम्हारी ही खुशबू।
बिखेर कर चले गए हो जो अनजाने में।।
भले अपनो ने ही बदनाम कर दिया “कश्यप”।
खूब चर्चा है तेरी आजकल जमाने में।।

390 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
॰॰॰॰॰॰यू॰पी की सैर॰॰॰॰॰॰
॰॰॰॰॰॰यू॰पी की सैर॰॰॰॰॰॰
Dr. Vaishali Verma
जय श्रीराम
जय श्रीराम
Pratibha Pandey
जीव के मौलिकता से परे हो,व्योम धरा जल त्रास बना है।
जीव के मौलिकता से परे हो,व्योम धरा जल त्रास बना है।
दीपक झा रुद्रा
"कुछ भी नहीं हूँ मैं"
Dr. Kishan tandon kranti
19, स्वतंत्रता दिवस
19, स्वतंत्रता दिवस
Dr .Shweta sood 'Madhu'
जीवन की बगिया में
जीवन की बगिया में
Seema gupta,Alwar
किसने क्या खूबसूरत लिखा है
किसने क्या खूबसूरत लिखा है
शेखर सिंह
हमारे जीवन में हर एक रंग का महत्व है।
हमारे जीवन में हर एक रंग का महत्व है।
Annu Gurjar
मउगी चला देले कुछउ उठा के
मउगी चला देले कुछउ उठा के
आकाश महेशपुरी
शालीनता , सादगी और संस्कार भी एक श्रृंगार है , तथाकथित आधुनि
शालीनता , सादगी और संस्कार भी एक श्रृंगार है , तथाकथित आधुनि
पूर्वार्थ
प्रेम मे डुबी दो रुहएं
प्रेम मे डुबी दो रुहएं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मैं नहीं मधु का उपासक
मैं नहीं मधु का उपासक
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
मर्ज
मर्ज
AJAY AMITABH SUMAN
पापियों के हाथ
पापियों के हाथ
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
कल को याद, भविष्य की बात
कल को याद, भविष्य की बात
Sonam Puneet Dubey
गीत ( भाव -प्रसून )
गीत ( भाव -प्रसून )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
ए दिल्ली शहर तेरी फिजा होती है क्यूँ
ए दिल्ली शहर तेरी फिजा होती है क्यूँ
shabina. Naaz
*जो खान-पान में चूक गया, वह जीवन भर पछताएगा (राधेश्यामी छंद
*जो खान-पान में चूक गया, वह जीवन भर पछताएगा (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
प्राण प्रतिष्ठा
प्राण प्रतिष्ठा
Mahender Singh
शून्य ही सत्य
शून्य ही सत्य
Kanchan verma
निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को कभी न छोड़े, क्योंकि लक्ष्य म
निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को कभी न छोड़े, क्योंकि लक्ष्य म
Ranjeet kumar patre
***इतना जरूर कहूँगा ****
***इतना जरूर कहूँगा ****
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
मंजिल-ए-मोहब्बत
मंजिल-ए-मोहब्बत
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तजुर्बे से तजुर्बा मिला,
तजुर्बे से तजुर्बा मिला,
Smriti Singh
*चले आओ खुली बाँहें बुलाती हैँ*
*चले आओ खुली बाँहें बुलाती हैँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
പൈതൽ
പൈതൽ
Heera S
पूर्वोत्तर का दर्द ( कहानी संग्रह) समीक्षा
पूर्वोत्तर का दर्द ( कहानी संग्रह) समीक्षा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अगर हो अंदर हौसला तो पूरा हर एक काम होता है।
अगर हो अंदर हौसला तो पूरा हर एक काम होता है।
Rj Anand Prajapati
पहली बरसात ....
पहली बरसात ....
sushil sarna
Loading...