फिज़ा बदल गई
खीर पूरी हलवा से पिज्जा बड़ा हुआ।
आजकल बेटा भी बाप से बड़ा हुआ।।
इज्जत कुछ नहीं,पैसा अब बड़ा हुआ।
काम कराने को,पैसा अब चढ़ा हुआ।।
देखो कैसी जमाने की फिजा बदल गई।
चीजें पूरब की थी पश्चिम में बदल गई।।
डबल रोटी खाने लगे,रोटी हम भूल गए।
नए जमाने के आगे,पुराना सब भूल गए।।
कण कण जुड़कर लड्डू एकता को दर्शाता है।
केक कट कट कर,विभाजन को ही दर्शाता हैं।।
जला हुआ दीपक,प्रकाश की ओर ले जाता है।
मोमबत्ती बुझाकर,अंधेरे की ओर ले जाता है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम