फासला…
फासला…
वो मेरा हमसफर भी था वो मेरा राहगुजर भी था…!!
पर मंजिलें एक न रहीं,बीच दरमियाँ कुछ फासला भी था..!!
विनोद सिन्हा “सुदामा”
फासला…
वो मेरा हमसफर भी था वो मेरा राहगुजर भी था…!!
पर मंजिलें एक न रहीं,बीच दरमियाँ कुछ फासला भी था..!!
विनोद सिन्हा “सुदामा”