फाग गीत
आओ मिलकर गाएं फाग ।
छेड़ें समरसता का राग । ।
हुए बहुत दिन लड़ते-लड़ते ,
बात-बात पर खूब झगड़ते ।
लेकिन बात बनी न अब तक,
फिर क्यों ? हम झगड़े में पड़ते ।
अगर प्यार से मिल बैठें तो ,
खिल जाएगा जीवन – बाग ।।
बदला लेकर नहीं निकलता ,
किसी समस्या का कोई हल ।
कलुषित हो जाता है जीवन ,
पीड़ित हो जाता है पल-पल ।
रोटी में भी स्वाद न रहता ,
खट्टी लगती मीठी साग ।।
छद्म प्रशंसा , अहंकार में ,
हुआ नर्क ये पूरा जीवन ।
मन सबके उखड़े-उखड़े हैं ,
मिलते रहते हैं केवल तन ।
दफ़्न हुआ संगीत आजकल ,
शोर छेड़ता गंदे राग ।।
आओ मिलकर गाएं फाग ,
छेड़ें समरसता का राग ।।